रूस में बन रहे भारतीय नौसेना के 2 युद्धपोत साल के अंत तक हो सकते हैं कमिशंड, GSL पर ये है अपडेट

भारत में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) में रूसी मदद से बनाए जा रहे श्रृंखला के अन्य दो युद्धपोत का काम भी आगे बढ़ रहा है. जीएसएल द्वारा निकट भविष्य में परीक्षण के लिए पहला युद्धपोत लॉन्च करने की उम्मीद है .

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के कार्यकाल के दौरान रूसी और भारतीय शिपयार्ड में युद्धपोत बनाने की परियोजना को मंजूरी दी गई थी.

रूस में बनाए जा रहे भारतीय नौसेना के दो युद्धपोतों के इस साल के अंत तक कमिशंड होने की संभावना है. पहला युद्धपोत आईएनएस तुशिल (INS Tushil) के नाम से जाना जाएगा, जबकि दूसरा युद्धपोत कमीशनिंग के बाद आईएनएस तमाल (INS Tamal) कहा जाएगा. रक्षा अधिकारियों ने बताया कि सामग्री निदेशालय के प्रमुख सहित भारतीय नौसेना की एक टीम ने हाल ही में रूस में उस शिपयार्ड का दौरा किया था, जहां फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं. टीम ने परियोजना का निरीक्षण भी किया था.

रक्षा अधिकारियों ने बताया कि काम अब अच्छी गति से चल रहा है और पहला युद्धपोत समुद्री परीक्षणों के लिए लॉन्च भी किया जा चुका है. परीक्षण रूसी नौसेना कर रही है. उन्होंने कहा कि दोनों युद्धपोतों के इस साल क्रमश: अगस्त और दिसंबर तक कमिशंड होने की उम्मीद है.

रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण इस परियोजना के पूरा होने में देरी हुई अन्यथा पहले ही दोनों युद्धपोत भारतीय नौसेना को मिल गए होते. रूस में बनाए जा रहे युद्धपोतों पर यूक्रेनी इंजन फिट करने की योजना थी लेकिन जंग छिड़ने के बाद इसमें बदलाव किया गया. अधिकारियों ने कहा कि भारतीय नौसैनिक शिपयार्ड से कार्यबल को युद्धपोत पर इंजन फिट करने के लिए रूस भेजा गया था. पहले जहाज का रूसी क्षेत्र में परीक्षण चल रहा है और उम्मीद है कि स्वीकृति परीक्षणों के लिए यह जल्द ही भारतीय नौसेना को सौंपने के लिए तैयार हो जाएगा. इसके अतिरिक्त, भारतीय टीम के जल्द ही वहां पहुंचने की उम्मीद है.

भारत में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) में रूसी मदद से बनाए जा रहे श्रृंखला के अन्य दो युद्धपोत का काम भी आगे बढ़ रहा है. जीएसएल द्वारा निकट भविष्य में परीक्षण के लिए पहला युद्धपोत लॉन्च करने की उम्मीद है और डिलीवरी 2026 के मध्य तक पूरी करने की योजना है. इसके अलावा, जीएसएल ने अपनी सुविधाओं का विस्तार किया है और युद्धपोतों के लिए आपूर्ति प्राप्त की है.

पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के कार्यकाल के दौरान रूसी और भारतीय शिपयार्ड में युद्धपोत बनाने की परियोजना को मंजूरी दी गई थी. कोविड-19 महामारी के कारण भी परियोजना पर काम में देरी हुई, जब लगभग सभी सैन्य कार्यक्रम आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों का सामना कर रहे थे. उम्मीद है कि रूस में बनाए जा रहे दो युद्धपोत विदेशी शिपयार्ड में बनाए जाने वाले आखिरी भारतीय जहाज होंगे, क्योंकि भारतीय नौसेना का वर्तमान और भविष्य का नेतृत्व रक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहा है और भारतीय शिपयार्ड और श्रमिकों को रोजगार दे रहा है.

Featured Video Of The Day
Delhi CM Rekha Gupta Attack News: कब बना था CM पर हमले का प्लान? | Kachehri With Shubhankar Mishra
Topics mentioned in this article