दिल्ली स्थित प्लेसमेंट एजेंसी, जिसने एक 17 वर्षीय लड़की को एक विवाहित जोड़े के घर में घरेलू सहायिका के रूप में नौकरी दिलाई थी. यहां उसे साथ शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया था. पुलिस ने बताया कि पिछले चार वर्षों में इस एजेंसी ने कुल 18 लड़कियों को अलग-अलग घरों में सहायिका के रूप में रखवाया है. पुलिस को एजेंसी के कार्यालय से जब्त की गई एक डायरी में यह जानकारी मिली है. इनमें से तीन लड़कियां दिल्ली, चंडीगढ़ और पानीपत में काम कर रही हैं और उन तक पहुंचने की प्रक्रिया चल रही है.
एजेंसी के मालिक अरुण तुरी और उसके साथी मनोज नाग को दो दिन की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद सोमवार को शहर की एक अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उधर, गुरुग्राम में नाबालिग घरेलू सहायिका को कथित रूप से प्रताड़ित करने और उसका यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार दंपती को उनके नियोक्ताओं ने नौकरी से निकाल दिया है. मामले में आरोपी महिला एक जनसंपर्क कंपनी में काम करती थी, जबकि उसका पति एक बीमा कंपनी में कार्यरत था. दोनों के नियोक्ताओं ने ट्वीट कर उन्हें नौकरी से निकाले जाने की सार्वजनिक घोषणा की है.
स्वास्थ्य केन्द्र के एक कर्मचारी ने बताया कि बृहस्पतिवार को दिल्ली में स्थित झारखंड भवन के एक अधिकारी पीड़िता से मिलने सदर अस्पताल आए थे. पुलिस के साथ मिलकर लड़की को आरोपी दंपती के चंगुल से मुक्त कराने वाले 'सखी केंद्र' की प्रभारी पिंकी मलिक की तहरीर के अनुसार, झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली इस किशोरी को एक 'प्लेसमेंट एजेंसी' के माध्यम से काम पर रखा गया था, दंपती उससे बहुत ज्यादा काम करवाते थे और रोजाना बेहद उसे बेरहमी से उसे पीटते थे.
पुलिस ने बुधवार को न्यू कॉलोनी निवासी मनीष खट्टर (36) और उनकी पत्नी कमलजीत कौर (34) को गिरफ्तार करने के बाद कहा था कि घरेलू सहायिका के हाथ, पैर और चेहरे पर चोट के कई निशान मिले हैं. प्राथमिकी के अनुसार, किशोरी की उम्र 17 साल है नाकि 14 साल, जैसा कि पहले पुलिस के एक अधिकारी ने बताया था. पिंकी मलिक ने दावा किया कि दंपती पीड़ित किशोरी को पूरी रात सोने नहीं देते थे और उसे खाना भी नहीं देते थे। उन्होंने बताया, "उसका चेहरा बुरी तरह सूजा हुआ था, जबकि शरीर पर हर जगह चोट के निशान थे."
प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िता ने बताया कि पांच महीने पहले उसका एक रिश्तेदार उसे खट्टर के फ्लैट पर छोड़ गया था, जहां खट्टर अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते हैं. पीड़िता ने कहा कि उसे हर दिन अपमानित किया जाता और पीटा जाता. उसे प्रताड़ित करने के लिए कथित तौर पर गर्म लोहे के चिमटे का इस्तेमाल किया गया था. खट्टर उसे निर्वस्त्र करते थे और उसके निजी अंगों पर चोट पहुंचाते थे. पीड़िता ने कहा कि दंपति ने उसे अपने घर में कैद कर लिया था और उसे अपने परिवार से बात नहीं करने देते थे.
उन्होंने बताया कि दंपती के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (चोट पहुंचाना), 342 (गैरकानूनी तरीके से बंधक बना कर रखना) और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम तथा पॉक्सो अधिनियम की संबद्ध धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. पुलिस ने 'यौन उत्पीड़न' की सजा से संबंधित पॉक्सो अधिनियम की धारा 12 भी लगाई है.