'छोटी लाइन बहुत याद आओगी', बाबासाहेब की जन्मस्थली महू को खंडवा से जोड़ने वाली 150 साल पुरानी मीटर गेज रेल सेवा बंद

चश्मदीदों ने बताया कि ओंकारेश्वर रोड स्टेशन से इस रेलगाड़ी को उसके आखिरी सफर पर रवाना किए जाने से पहले यात्रियों ने ट्रेन के लोको पायलट (चालक) दौलतराम मीणा और उनके सहयोगियों को माला पहनाई.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
यात्रियों ने ट्रेन पर 'मीटर गेज को आखिरी सलाम' और 'छोटी लाइन बहुत याद आओगी' जैसे भावुक संदेश लिखे (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इंदौर:

 पश्चिमी मध्य प्रदेश में रेलवे की विरासत से जुड़ी करीब 150 साल पुरानी छोटी (मीटर गेज) रेल लाइन पर ट्रेनों की आवाजाही इसके गेज में बदलाव की जारी परियोजना के चलते मंगलवार से अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर की जन्मस्थली महू को जोड़ने वाली यात्री ट्रेन के मंजिल पर पहुंचते ही यह रेल लाइन इतिहास के पन्नों में समा गई.

चश्मदीदों ने बताया कि ओंकारेश्वर रोड स्टेशन से इस रेलगाड़ी को उसके आखिरी सफर पर रवाना किए जाने से पहले यात्रियों ने ट्रेन के लोको पायलट (चालक) दौलतराम मीणा और उनके सहयोगियों को माला पहनाई. यात्रियों ने ट्रेन पर 'मीटर गेज को आखिरी सलाम' और 'छोटी लाइन बहुत याद आओगी' जैसे भावुक संदेश भी लिखे. इंदौर से करीब 70 किलोमीटर दूर ओंकारेश्वर रोड स्टेशन से ट्रेन में सवार यात्रियों में शामिल मोहम्मद शाहिद ने ‘‘पीटीआई-भाषा'' से कहा,‘‘इस रेल के आखिरी सफर का गवाह बनने पर हमें काफी दु: ख हो रहा है. महू (डॉ. आम्बेडकर नगर) और इंदौर आने-जाने के लिए यह ट्रेन हमारा आसान और सुविधाजनक जरिया था. अब हमें मजबूरन बस से सफर करना पड़ेगा.''

पश्चिम रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने बताया कि महू से खंडवा के बीच करीब 90 किलोमीटर में फैली छोटी लाइन को बड़ी लाइन (ब्रॉडगेज) में बदले जाने की जारी परियोजना के चलते छोटी लाइन को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया है. उन्होंने बताया कि इस लाइन पर महू-ओंकारेश्वर रोड-महू यात्री ट्रेन का परिचालन किया जा रहा था, जिसे अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है.

गौरतलब है कि महू से खंडवा के बीच की छोटी लाइन के पातालपानी-कालाकुंड खंड को विरासत ट्रैक घोषित किए जाने के बाद रेलवे ने इस पर 25 दिसंबर 2018 से महू-कालाकुंड-महू हैरिटेज ट्रेन चलानी शुरू की थी. मीणा ने बताया कि छोटी लाइन पर रेलों की आवाजाही थमने के बाद यह हैरिटेज ट्रेन भी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई है. रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि तत्कालीन होलकर शासकों ने अपनी राजधानी इंदौर को खंडवा से जोड़ने के लिए छोटी लाइन बिछाने के वास्ते अंग्रेजों को वर्ष 1870 में एक करोड़ रुपये का कर्ज 101 साल के लिए दिया था और सबसे पहले इस लाइन के खंडवा-सनावद खंड पर एक दिसंबर 1874 से रेलों की आवाजाही शुरू हुई थी.

Advertisement

उन्होंने बताया कि इंदौर से खंडवा के बीच के सुरम्य पहाड़ी इलाकों के रोमांचकारी मोड़ों और उतार-चढ़ावों से गुजरने वाली यह छोटी लाइन इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना है. अधिकारियों के मुताबिक, बीते वर्षों में इस लाइन का इस्तेमाल उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने में किया जाता रहा है और इस पर जयपुर-पूर्णा मीनाक्षी एक्सप्रेस, अजमेर-खंडवा एक्सप्रेस, जयपुर-काचेगुड़ा मेल जैसी प्रमुख यात्री गाड़ियां चलायी जाती रही हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें- 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Mahakumbh Stampede: Mauni Amavasya पर भगदड़ साजिश तो नहीं? | NDTV India
Topics mentioned in this article