बिजली घरों में कोयले की सप्‍लाई में हुआ सुधार, लेकिन संकट बरकरार

देश के बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले के संकट (Coal Crisis) के बीच कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) गुरुवार को झारखंड के CCL और BCCL के खदानों का नीरि‍क्षण करने पहुंचे. उन्होंने अधिकारीयों को कोयला का प्रोडक्शन और सप्लाई दोनों बढ़ाने के निर्देश दिए.

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नई दिल्ली:

देश के बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले के संकट (Coal Crisis) के बीच कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) गुरुवार को झारखंड के CCL और BCCL के खदानों का नीरि‍क्षण करने पहुंचे. उन्होंने अधिकारीयों को कोयला का प्रोडक्शन और सप्लाई दोनों बढ़ाने के निर्देश दिए. गुरुवार को ऊर्जा मंत्रालय ने एक रिलीज़ जारी कर कहा - कोयला संकट की वजह से बिजली प्रोडक्शन में कमी में गिरावट आयी है. पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (POSOCO) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उर्जा मंत्रालय ने का, 'कोयला की कमी की वजह से बिजली निर्माण में हो रही गिरावट 12 अक्टूबर को 11 गीगावाट (GW) थी जो 14 अक्टूबर को घट कर 5 गीगावाट रह गई है.' 

उधर कोशिशों के बावजूद कोयला संकट बना हुआ है. ऊर्जा मंत्रालय की सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की 12 अक्टूबर की डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 135 थर्मल पावर प्लांट्स में से 116 में कोयले का स्टॉक घटकर क्रिटिकल या सुपर क्रिटिकल स्तर पर बना हुआ है. हालांकि 4 दिन से कम का कोयले का स्टॉक वाले पावर प्लांट्स की संख्या कुछ घटी है जिनके पास कोयला 1500 किलोमीटर तक दूर की कोयला खदानों से पहुंचता है. 10 अक्टूबर को ऐसे पावर प्लांट्स की संख्या 70 थी जो 12 अक्टूबर को घटकर 65 हो गयी है जबकि 7 दिन से भी कम का स्टॉक वाले ऐसे पावर प्लांट्स की संख्या इन दो दिनों में 26 से बढ़कर 31 हो गयी है.

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के ये ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि 10 अक्टूबर से 12 अक्टूबर के बीच कोयले की सप्लाई में मामूली सुधार हुआ जरूर है लेकिन देश के 85% पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक क्रिटिकल या सुपर क्रिटिकल स्तर पर बना हुआ है.

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पूर्व ऊर्जा सचिव अनिल राज़दान मानते हैं कोयले का संकट बेहद गंभीर है, और सरकार को डोमेस्टि‍क प्रोडक्शन के साथ-साथ कोयले का आयात भी बढ़ाना होगा. अनिल राज़दान ने NDTV से कहा, "ये ऐसा संकट है जो एक या दो हफ्ते में दूर होने वाला नहीं है. किसी के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है. जरूरी कोयला उपलब्ध करने में काफी ज्यादा वक्त लगेगा. DISCOMS का करीब 1.17 लाख करोड़ का बकाया है पावर जनरेटिंग कम्पनीज पर, जबकि पावर जनरेटिंग कम्पनीज का कोल कंपनियों के पास बकाया 20000 करोड़ का है.''

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साफ़ है, कोयला संकट से निपटने की चुनौती बड़ी है और सरकार को इससे निपटने के लिए लंबे समय तक जूझना पड़ेगा.

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देश में गहराया बिजली संकट! 135 में से 116 थर्मल प्लांट में कोयले की कमी

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