Amazon को झटका : रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप की 24,713 करोड़ की डील हुई डन, SEBI ने दी मंजूरी

अगस्त, 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की सब्सिडियरी कंपनी Reliance Retail Ventures Limited ने घोषणा की थी कि वो फ्यूचर ग्रुप के रिटेल और होलसेल बिज़नेस के अलावा लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग बिजनेस को 24,713 करोड़ में खरीदेगा. इस डील को सेबी ने मंजूरी दे दी है.

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मुंबई:

पूंजी बाजार नियामक सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने एमेजॉन को झटका देते हुए फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस रिटेल के बीच हुई डील को अपनी मंजूरी दे दी. रिलायंस रिटेल ने किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप की परिसंपत्तियों को 24,713 करोड़ रुपये के सौदे में खरीदने की घोषणा की थी, जिसे अब सेबी ने बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी.

बता दें कि एमेजॉन सेबी और अन्य नियामक एजेंसियों को कई पत्र लिखकर इस सौदे को अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया था. एमेजॉन इस डील के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट भी गया था. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने कुछ शर्तों के साथ इस सौदे को मंजूरी दे दी है. पिछले साल अगस्त में इस सौदे की घोषणा की गई थी.

सेबी से मंजूरी मिलने के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने भी इस सौदे पर अपनी मुहर लगा दी.  BSE ने यह भी कहा है कि फ्यूचर-रिलायंस ग्रुप के इस सौदे पर सेबी की अनुमति अदालत में लंबित मामलों के नतीजों पर निर्भर करेगी.

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अगस्त, 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की सब्सिडियरी कंपनी Reliance Retail Ventures Limited ने घोषणा की थी कि वो फ्यूचर ग्रुप के रिटेल और होलसेल बिज़नेस के अलावा लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग बिजनेस को 24,713 करोड़ में खरीदेगा. इस डील को मंजूरी देते हुए सेबी ने रिलांयस को Composite Scheme of Arrangement के अनुसार कई शर्तें भी रखी हैं, जिसके तहत अपनी संपत्तियां बेचने वाली कंपनी को सेबी में कंपनी या फिर उसके प्रमोटर्स के खिलाफ कोई भी लंबित कार्रवाई नेशनल कंपनी ट्रिब्यूनल के सामने स्कीम डॉक्यूमेंट फाइल करते वक्त बताना होगा. वहीं, एमेजॉन की ओर से हुई शिकायतों और सुनवाइयों के बारे भी उसे शेयरहोल्डर्स के सामने रखना होगा.

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बता दें कि एमेजॉन ने इस डील पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. एमेजॉन का कहना था कि यह डील फ्यूचर ग्रुप के साथ 2019 में हुई उसकी डील का उल्लंघन करती है. उसने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में हुई सुनवाई में दिए गए अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए इस डील पर रोक लगाने की मांग की थी.  हालांकि, हाईकोर्ट ने दिसंबर 21, 2020 को कहा कि इस संबंध में संबंधित नियामक एजेंसियां कानून के हिसाब से फैसला लेगी. फ्यूचर ग्रुप ने भी एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें मांग की गई थी कि उसकी इस डील में एमेजॉन की ओर से सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर के एक अंतरिम आदेश के आधार पर अड़ंगा डाले जाने की कोशिशों पर रोक लगाई जाई. हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था.

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