बुजुर्गों पर भारी रहा लॉकडाउन, आत्महत्या के मामले 31% बढ़े

कोरोना महामारी (Coronavirus) में लगे लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के दौरान बुजुर्गों की आत्महत्या के मामलों में 31% बढ़ोतरी हुई है. मुंबई पुलिस (Mumbai Police) से सूचना अधिकार कानून-आरटीआई (RTI) से ये जानकारी सामने आयी है.

Advertisement
Read Time: 24 mins

मुंबई:

कोरोना महामारी (Coronavirus) में लगे लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के दौरान बुजुर्गों की आत्महत्या के मामलों में 31% बढ़ोतरी हुई है. मुंबई पुलिस (Mumbai Police) से सूचना अधिकार कानून-आरटीआई (RTI) से ये जानकारी सामने आयी है. आंकड़े ये भी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान हुए आर्थिक नुकसान, बेरोजगारी आदि से पुरुष ज्यादा मानसिक तौर से परेशान हुए. लॉकडाउन का सर्वाधिक असर बुजुर्गों पर पड़ा! सूचना अधिकार कानून-आरटीआई से मिली जानकारी से ये ज़ाहिर होता है. 2020 में वरिष्ठ नागरिकों की आत्महत्या के मामलों में 2019 की तुलना में 31% बढ़ोतरी पता चलती है. मुंबई पुलिस से आरटीआई के तहत आरटीआई कार्यकर्ता जीतेंद्र घाडगे को मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में जहां 92 बुजुर्गों ने आत्महत्या की थी, वहीं 2020 में ये आंकड़ा बढ़ कर 121 हो गया. इनमें बुज़ुर्ग महिलाओं की आत्महत्या के मामलों में 60% बढ़ोतरी दिखती है तो वहीं बुजुर्ग पुरुषों की आत्महत्या का आंकड़ा 21% बढ़ा. वर्ष 2020 में कुल 1282 लोगों ने आत्महत्या की. यानी हर रोज औसतन तीन लोगों ने मौत को गले लगाया जबकि 2019 में यह आंकड़ा 1229 था.

आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान हुए आर्थिक नुकसान, बेरोजगारी आदि से पुरुष ज्यादा मानसिक तौर से परेशान हुए. RTI के आंकड़ों के अनुसार 18 से 60 साल के पुरुषों में आत्महत्या का प्रमाण 14% बढ़ा है. वर्ष 2019 में ये आकड़ा 715 था, जो 2020 में बढ़ कर 816 हो गया. तो वहीं 18 से 60 साल आयु की महिलाओं में आत्महत्या की घटनाओं में 13% की कमी आई है. वर्ष 2019 में 312 महिलाओं ने आत्महत्या की थी, 2020 में ये आंकड़ा घट कर 269 हो गया. वहीं 18 साल से कम उम्र की ऐसी घटनाओं में 13% की कमी आई है.

आरटीआई कार्यकर्ता जीतेंद्र घाडगे कहते हैं, ''लॉकडाउन के दौरान लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बेहद प्रभावित हुआ पर सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. लॉकडाउन के चलते निम्न मध्यवर्गीय पुरुषों की हालत खराब हुई है. वरिष्ठ नागरिकों पर ज़्यादा असर दिखा.''

Advertisement

वैसे मुंबई के बड़े बीएमसी अस्पतालों में एक सायन हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक बताते हैं कि उनके यहां रोज़ाना पहुंच रहे 40 मानसिक रोगियों में 5 बुज़ुर्ग ही इलाज के लिए आते हैं.

Advertisement

सायन हॉस्पिटल में मनोचिकित्सक डॉ निलेश शाह कहते हैं, ‘'हमारे सायकाइयट्री डिपार्टमेंट में रोज़ाना नए 40 मरीज़ आते हैं उनमें 5 बुजुर्ग होते हैं. कॉमन बीमारी है डिप्रेशन. बच्चे, महिला, पुरुष को होता है वैसे ही बुजुर्गों को डिप्रेशन होता है. ज़्यादा सिवीयर हुआ तो आत्महत्या के विचार आते हैं.''

Advertisement

कोविड बीमारी से सबसे ज़्यादा बुजुर्गों को बचाने की कोशिश रही, सख़्त लॉकडाउन और संक्रमण का ख़तरा कई वरिष्ठों को डिप्रेशन का शिकार बना गया.

Advertisement
Topics mentioned in this article