क्रिकेट की पिच हो या राजनीति का मैदान, बगावत करना ही नवजोत सिंह सिद्धू की रही पहचान

Punjab Polls: नवजोत सिंह सिद्धू का सीधे कैप्टन से टकराने का पुराना इतिहास रहा है. जून 1996 में जब वह भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य थे, तब टीम इंडिया के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन से गुस्सा होकर वह इंगलैंड दौरे को बीच में ही छोड़कर देश लौट आए थे. इसके बाद उन्होंने 1999 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.

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नई दिल्ली:

क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अपनी बेबाक अंदाज और शेरो-शायरी के लिए राजनीति में भी उतने ही लोकप्रिय रहे हैं, जितने कि वो टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले लाफ्टर शो में रहे हैं.. फिलहाल पंजाब विधान सभा चुनावों (Punjab Assembly Elections 2022) में वो फिर से सुर्खियों में हैं. इसके पीछे उनकी राज्य का मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा है. फिलहाल वह पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष (Punjab Congress Chief) हैं और अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से विधायक हैं. इस बार भी वह इसी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.

2017 में उन्होंने बीजेपी से पाला बदलकर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. तब कांग्रेस ने उन्हें इसी सीट से उम्मीदवार बनाया था. इससे पहले 2012 के चुनावों में उनकी पत्नी नवजोत कौर इसी सीट से बीजेपी की विधायक चुनी गई थीं.

58 साल के नवजोत सिंह सिद्धू के सियासी करियर में कांग्रेस दूसरी पार्टी है. इससे पहले वह 2004 में बीजेपी में शामिल हुए थे. साल 2004 से 2014 तक वह अमृतसर से पार्टी के सांसद भी रहे. 2014 के आम चुनावों में पार्टी द्वारा टिकट नहीं देने पर वो नाराज हो गए. हालांकि, बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया, बावजूद इसके जुलाई 2016 में उन्होंने बीजेपी और राज्यसभा सांसदी दोनों छोड़ दिया. तब आम आदमी पार्टी में जाने की अटकलें तेज हुईं लेकिन सितंबर 2016 में उन्होंने प्रगट सिंह के साथ मिलकर आवाज़-ए-पंजाब नाम से नया राजनीतिक मोर्चा बनाया. 

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इसके अगले साल, यानी जनवरी 2017 में सिद्धू विधान सभा चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए. 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने सिद्धू का पत्ता काटकर अरुण जेटली को अमृतसर से उतारा लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें करारी शिकस्त दी. 2017 के चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद वो कैप्टन की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए लेकिन वहां भी उनकी कैप्टन से खटपट हो गई. 

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सिद्धू ने दो साल में ही कैप्टन की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वो कांग्रेस के अंदर ही रहकर कैप्टन के खिलाफ काम करने लगे. कैप्टन के भारी विरोध के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें 18 जुलाई 2021 को सुनील जाखड़ की जगह पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया लेकिन अमरिंदर सिंह से रिश्ते सुधर नहीं सके. उन्होंने अपनी नियुक्ति के दो महीने बाद ही 28 सितंबर 2021 को तनातनी के बीच इस्तीफा दे दिया लेकिन पार्टी आलाकमान ने उसे नामंजूर कर दिया.

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इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. तब चर्चा तेज हुई कि सिद्धू राज्य की कमान संभालेंगे लेकिन पार्टी ने दलित विधायक चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना दिया और राज्य की करीब 32 फीसदी दलित आबादी पर डोरे डाले. अब जब राज्य में चुनाव हो रहे हैं, तब फिर से सिद्धू सीएम चन्नी के खिलाफ खुद को सीएम पद का दावेदार बता रहे हैं. चन्नी से भी उनके रिश्ते अच्छे नहीं कहे जा रहे.

नवजोत सिंह सिद्धू का सीधे कैप्टन से टकराने का पुराना इतिहास रहा है. जून 1996 में जब वह भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य थे, तब टीम इंडिया के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन से गुस्सा होकर वह इंगलैंड दौरे को बीच में ही छोड़कर देश लौट आए थे. इसके बाद उन्होंने 1999 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.

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