Majuli Assembly Seat: सर्बानंद सोनोवाल का करिश्मा रहेगा बरकरार या कांग्रेस करेगी वापसी

Majuli Assembly Seat Assam : माजुली सीट पर करीब डेढ़ लाख मतदाता है, जिनमें 33% मीशिंग समुदाय (MIshing) से ताल्लुक रखते हैं. इस सीट पर लंबे समय से असम गण परिषद (AGP) या कांग्रेस (Congress) का कब्जा रहा है. सर्वानंद सोनोवाल भी पहले अगप नेता थे. 

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नई दिल्ली:

असम के विधानसभा चुनाव में माजुली सीट (Majuli Assembly Seat Assam) पर सबकी निगाहें होंगी, जहां पिछले चुनाव में BJP के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सर्वानंद सोनोवाल (Sarbanand Sonowal) ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी. सोनोवाल की जीत की पहले माजुली विधानसभा क्षेत्र लंबे समय तक असम गण परिषद या कांग्रेस का गढ़ रही है.

ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra) के द्वीप माजुली की विधानसभा सीट लखीमपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है. माजुली में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान का रिकॉर्ड रहा है, जबकि यहां के कई क्षेत्रों में नावों से भी आना-जाना हो पाता है. BJP को यहां 49,602 और पेगू को 30,679 वोट मिले थे. असम चुनाव 2016 में बीजेपी पहली बार सत्ता का स्वाद चखा था.

सोनोवाल ने 2016 में कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी राजिब लोचन पेगू (Rajib Lochan Pegu) को 18923 वोटों से हराया था. पेगू माजुली से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके थे. सोनोवाल तब खेल एवं युवा मामलों के केंद्रीय मंत्री थे और लखीमपुर से लोकसभा सांसद थे. 

मीशिंग समुदाय के सर्वाधिक वोटर
माजुली सीट पर करीब डेढ़ लाख मतदाता है, जिनमें 33 फीसदी मीशिंग समुदाय (MIshing) से ताल्लुक रखते हैं. इस सीट पर लंबे समय से असम गण परिषद (AGP) या कांग्रेस (Congress) का कब्जा रहा है. सर्वानंद सोनोवाल भी पहले अगप के ही नेता थे. 

बड़े खतरे का सामना कर रहा ब्रह्मपुत्र का द्वीप
ब्रह्मपुत्र नदी का माजुली द्वीप बड़े खतरे का सामना कर रहा है. कभी 1200 वर्ग किलोमीटर में फैला यह टापू आज 540 वर्ग किलोमीटर में सिमट कर रह गया है. बीजेपी ने माजुली से जोरहाट के बीच पुल का निर्माण कर बड़े चुनावी वादे को पूरा किया है. 

पहले चऱण में होगा मतदान
असम में 126 विधानसभा सीटें हैं. बीजेपी को 2016 के चुनाव में 60 सीटों पर जीत मिली थी औऱ उसने पहली बार सत्ता हासिल की थी. असम में तीन चरणों के चुनाव का पहला दौर (Assam First Phase assembly Election) 27 मार्च को होगा और 47 सीटों पर मतदान होगा. माजुली सीट पर चुनाव भी पहले चरण में होना है.

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सोनोवाल का लंबा राजनीतिक अनुभव
सोनोवाल ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के 1992 से 1999 तक प्रमुख रहे, जिसने असम में बड़ा छात्र आंदोलन छेड़ा था. जनवरी 2011 तक असम गण परिषद का दामन छोड़कर सोनोवाल बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी के अध्यक्ष भी रहे. वह दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं.

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