Video : कीव में गोलियों के शिकार हुए हरजोत सिंह सहित 210 भारतीय स्‍टूडेंट्स भारत पहुंचे

पोलैंड से ऑपरेशन गंगा के तहत यह आखिरी विमान है. इस विमान में जंग के दौरान गोली लगने से घायल हुए भारतीय छात्र हरजोत भी शामिल है.

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नई दिल्ली:

यूक्रेन से निकलने के दौरान गोलियां लगने से घायल भारतीय हरजोत सिंह सहित 210 भारतीय स्‍टूडेंट्स को लेकर  C17 ग्लोब मास्टर विमान सोमवार शाम को पोलैंड से भारत पहुंचा. पोलैंड से ऑपरेशन गंगा के तहत यह आखिरी विमान है. इस विमान में जंग के दौरान गोली लगने से घायल हुए भारतीय छात्र हरजोत भी शामिल है. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने न्‍यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, 'हरजोत की स्थिति स्थिर है (हालचाल ठीक है). उसे रिसर्च एंड रेफेरल हॉस्पिटल ले जाया गया है. गोलियों का इलाज कैसे किया जाता है इसके बार में सैन्‍य बलों से बेहतर कोई नहीं जानता. उसे वापस लाने में देर हुई क्‍योंकि Vinytsia के एयरपोर्ट पर हमला हुआ था लेकिन यू्क्रेन स्थित भारतीय दूतावास अंतत: व्‍यवस्‍था करने में सफल हो गया. '

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब तक 3 हजार से ज्यादा बच्चों को वहां से निकाल लिया गया. आज जितने बच्चे हम ला सकते थे, ले आए. आगे भी बच्चों को लाया जाएगा. उन्‍होंने कहा कि ऑपरेशन गंगा की समाप्ति पोलैंड में हुई हो, ऐसी घोषणा नही की जा रही है. जब बच्चे हमारे पास आना बंद हो जाएंगे, हम ऑपरेशन समाप्त घोषित कर देंगे. इससे पहले, हरजोत को एम्बुलेंस के जरिये पोलैंड के  रेजजोव हवाईअड्डे पर ले जाया गया और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने उनका हालचाल जाना. बता दें कि आज सात विशेष उड़ानों से 1,500 भारतीयों के वापस आने की उम्मीद है.

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यूक्रेन की राजधानी कीव में एक कैब में सवार होते वक्त चार गोलियां लगी थीं और उसके पैर में फ्रैक्चर हो गया था. वीके सिंह उन चार मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा गया है. वीके सिंह पोलैंड में इस मुहिम में जुटे हैं. हरजोत सिंह को जब गोली मारी गई थी तो उसी वक्त उसका पासपोर्ट भी गुम हो गया था. उम्मीद करता हूं कि घर के खाने और देखभाल के साथ वो जल्द ही स्वस्थ होगा. हरजोत सिंह जब कीव में अस्पताल में भर्ती थे, तो उन्होंने एनडीटीवी से बात की थी और कहा था कि उनकी परेशानी को दुनिया के सामने लाने के लिए धन्यवाद. एएनआई से बातचीत में हरजोत ने पहले कहा था कि उन्हें भारतीय दूतावास से कोई मदद नहीं मिली थी. वो खुद ही लगातार उनके संपर्क में रहे थे. हर दिन मुझे लगता था कि वो मेरी मदद के लिए कुछ करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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