सितंबर तक चल रही बरसात, 60 साल में दूसरी बार ऐसा मौका; आखिर कब लौटेगा मॉनसून

आईएमडी के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र में वरिष्ठ पूर्वानुमानकर्ता आरके जेनामणि ने बताया कि 1960 के बाद यह दूसरा मौका है जब मॉनसून इतनी देर से लौट रहा है. उन्होंने कहा कि 2019 में उत्तर पश्चिम से मॉनसून ने 9 अक्टूबर से लौटना शुरू कर दिया था.

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नई दिल्ली:

देश में इस साल जून से सितंबर तक, चार महीनों के बरसात के मौसम के दौरान ‘‘सामान्य'' वर्षा हुई. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईमडी) ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. आईएमडी ने कहा कि पूर्वोत्तर मॉनसून के भी सामान्य रहने के आसार हैं जिससे अक्टूबर से दिसंबर तक दक्षिणी राज्यों में बारिश होती है, जिनमें तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, केरल, दक्षिण अंदरूनी कर्नाटक और लक्षद्वीप शामिल हैं. विभाग के महानिदेशक एम. महापात्र ने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों से छह अक्टूबर के आसपास दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लौटने की शुरूआत होने के लिए बहुत अनुकूल मौसमी दशाएं होने की संभावना है.

आईएमडी के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र में वरिष्ठ पूर्वानुमानकर्ता आरके जेनामणि ने बताया कि 1960 के बाद यह दूसरा मौका है जब मॉनसून इतनी देर से लौट रहा है. उन्होंने कहा कि 2019 में उत्तर पश्चिम भारत से मॉनसून ने नौ अक्टूबर से लौटना शुरू कर दिया था. उत्तर पश्चिम भारत से दक्षिण पश्चिम मानसून आमतौर पर 17 सितंबर से लौटना शुरू कर देता है. महापात्र ने कहा, ‘‘मात्रात्मक रूप से, 2021 में एक जून से 30 सितंबर तक मॉनसून की मौसमी वर्षा 1961-2010 के दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) 88 सेंटीमीटर की तुलना में 87 सेंटीमीटर हुई.''

उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से देश में होने वाली मौसमी वर्षा जून-सितंबर के दौरान कुल मिलाकर सामान्य (दीर्घ अवधि औसत का 96-106 प्रतिशत) रही.'' यह लगातार तीसरा साल है, जब देश में बारिश सामान्य दर्ज की गई. यह 2019 और 2020 में समान्य से अधिक थी.

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दक्षिण-पश्चिम मॉनसून भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम है, क्योंकि देश की जीडीपी अब भी कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर बहुत अधिक निर्भर है. यह उन जलाशयों को भरने के लिए महत्वपूर्ण है जिनका उपयोग पीने के पानी की आपूर्ति और सिंचाई के लिए किया जाता है.

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कुल मिलाकर देशभर में बारिश जून में 110 फीसदी, जुलाई में 93 प्रतिशत और अगस्त में 76 फीसदी हुई. इन महीनों में सबसे ज्यादा बारिश होती है. हालांकि जुलाई और अगस्त में बारिश कम हुई, लेकिन इसकी कमी सितंबर में पूरी हो गई जब एलपीए की 135 फीसदी बारिश रिकॉर्ड की गई. आईएमडी ने कहा कि नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और लक्षद्वीप में कम बारिश हुई.

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वहीं, पश्चिम राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर अंदरूनी कर्नाटक, पश्चिम बंगाल का गंगा का क्षेत्र, कोंकण और गोवा, मराठवाड़ा और अंडमान और निकोबार में मॉनसून के मौसम में अधिक वर्षा दर्ज की गई. दक्षिण पश्चिम मॉनसून दो दिन की देरी के बाद तीन जून को केरल पहुंचा था. इसने 15 जून तक तेजी से मध्य, पश्चिम, पूर्वी, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत को कवर कर लिया था.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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