बिहार में छोटे सरकार कहे जाने वाले डॉन अनंत सिंह चौथी बार मोकामा से लड़े रहे हैं चुनाव

बिहार में छोटे सरकार कहे जाने वाले डॉन अनंत सिंह मोकामा से चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. इस वक्त अनंत सिंह जेल में हैं लेकिन कभी उनके जानी दुश्मन रहे विवेका पहलवान के हाथों में अनंत सिंह के चुनावी प्रचार की कमान है.

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नई दिल्ली:

बिहार में छोटे सरकार कहे जाने वाले डॉन अनंत सिंह मोकामा से चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. इस वक्त अनंत सिंह जेल में हैं लेकिन कभी उनके जानी दुश्मन रहे विवेका पहलवान के हाथों में अनंत सिंह के चुनावी प्रचार की कमान है. वहीं बाहुबली अनंत सिंह के खिलाफ बीजेपी के राजीव लोचन सिंह मैदान में हैं. क्या इस बार भी अनंत सिंह जेल से सियासी दंगल जीत पाएंगे. 

हजारों की भीड़ से घिरी जेल की वैन से मोकामा के छोटे सरकार अनंत सिंह चौथी बार नामांकन कराने पहुंचे.चेहरे पर काला चश्मा और वही पुरानी ठसक के साथ. नामांकन के बाद वो फिर भागलपुर जेल पहुंच गए हैं. हालांकि अनंत सिंह का प्रचार उनकी पत्नी नीलम सिंह भी कर रही हैं. समर्थकों का कहना है कि इस बार विधायक जी दो लड़ाई लड़ रहे हैं पहला जनता की अदालत में दूसरा कोर्ट में दोनों में उनकी जीत होगी.

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लेकिन अनंत सिंह का चुनावी प्रचार इस बार उनके जानी दुश्मन विवेका पहलवान के हाथों में है. विवेका पहलवान और अनंत सिंह के बीच हुई गैंगवार में इस इलाके में दर्जनों लोगों की हत्याएं हुईं. लेकिन नीतीश कुमार के खिलाफ अब दोनों दुश्मन एक हो गए हैं.  विवेका पहलवान ने क्रिमिनल के सवाल पर कहा कि ये सब आप पत्रकारों के दिमाग की उपज है क्रिमिनल सरकार बनाता है.

मोकामा विधानसभा  पटना से करीब 120 किमी दूर मोकामा गंगा नदी के किनारे बसा एक छोटा कस्बा है लेकिन 2015 में RJD और JDU मिलकर भी अनंत सिंह मोकामा से नहीं हरा पाए थे और जेल के अंदर रहते 18 हजार वाटों से वो जीते थे. उधर मोकामा विधानसभा में महागठबंधन के अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार के खिलाफ बीजेपी के प्रत्याशी राजीव लोचन सिंह हैं. लंबे समय तक बीजेपी कार्यकर्ता के तौर पर काम करने के बाद राजीव लोचन सिंह पहली बार मोकामा से अनंत सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.

राजीव लोचन सिंह ने कहा कि डर की क्या बात है जिंदगी ऊपर वाले के हाथ में सबसे बड़ा डॉन लोकतंत्र में जनता है. इंदिरा गांधी को भी जनता ने उखाड़ फेंका था. बीते दो दशक से बिहार में अनंत सिंह लालू और नीतीश दोनों के समय समय पर राजनीतिक मजबूरी साबित होते रहे हैं. बिहार में सरकार चाहे किसी की भी रहे लेकिन पंद्रह साल से मोकामा के छोटे सरकार अनंत सिंह ही रहे हैं. 


 

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