भीमा कोरेगांव केस: डिजिटल फोरेसिंक रिपोर्ट में खुलासा, 'रोना विल्‍सन के लैपटॉप से मिले मेल को कराया गया था प्‍लांट'

आर्सेनल रिपोर्ट में एक अहम बात ये भी है कि रोना विल्सन के कंप्यूटर में Microsoft Word 2007 था. लेकिन कथित तौर पर उनके द्वारा लिखे गए कुछ दस्तावेज़ MS 2010 और MS 2013 तक के PDF फॉर्मेट में थे

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मुंंबई:

Bhima Koregaon violence case: भीमा कोरेगांव हिंसा और अर्बन नक्सल मामले में नया खुलासा हुआ है. आरोपियों के वकील ने दावा किया है कि आरोपियों में से एक रोना विल्सन (Rona Wilson) के लैपटॉप से बरामद साजिश के मेल खुद उन्होंने नहीं लिखे थे बल्कि इन्‍हें प्लांट करवाया गया था. बचाव पक्ष के वकील मिहिर देसाई के मुताबिक, पुणे कोर्ट के आदेश पर मिले हार्ड डिस्क के क्लोन को अमेरिका के अर्सनाल डिजिटल फोरेंसिक लैब भेजा गया था जिसकी रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है.साइबर एक्सपर्ट अंकुर पुराणिक भी मानते हैं कि ऐसा मुमकिन है. उन्होंने एक मेल के जरिये एथिकल हैकिंग कर यह दिखाया. अंकुर के मुताबिक, इसके लिए जरूरी है कि लैपटॉप चालू हो और इंटरनेट कनेक्शन हो. लेकिन इस दौरान जिसका कंप्यूटर है, उसे शक भी हो सकता है इसलिए हैकर उसके ही वेब कैमरे और कीपैड की हरकत पर नजर रखते हैं. 

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आर्सेनल रिपोर्ट में एक अहम बात ये भी है कि रोना विल्सन के कंप्यूटर में Microsoft Word  2007 था. लेकिन कथित तौर पर उनके द्वारा लिखे गए कुछ दस्तावेज़ MS 2010 और MS 2013 तक के PDF फॉर्मेट में थे. (आप हायर वर्जन का डॉक्यूमेंट लोअर वर्जन में क्रिएट कर सकते हैं ...लेकिन लोअर वर्जन में हायर वर्जन का डॉक्यूमेंट क्रिएट नही कर सकते हैं. मतलब साफ है कि रोना विल्सन के कंप्यूटर में वो लेटर ड्राफ्ट नही हुए हैं? वे प्लांट किये गए थे. जाहिर है इस खुलासे से बचाव पक्ष के हाथ बड़ा 'तुरुप का पत्ता' लगा है. इसलिए अब  उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी देकर मामला खारिज करने की मांग की है.

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उधर नेशनल इनवेस्‍टीगेशन एजेंसी यानी NIA ने प्रेस नोट जारी कर दस्तावेज प्लांट करने की बात से इनकार करते हुए कहा है कि रोना विल्सन के यहां सारी जप्ती नियमों के तहत की गई है और पुणे FSL की रिपोर्ट में छेड़छाड़ की बात नहीं आई है. भीमा कारेगांव मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई जब महाराष्ट्र के तत्‍कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा किया था.अब सवाल है अमेरिकी फोरेंसिक लैब की इस रिपोर्ट को कानूनी वैधता मिलती है या नही लेकिन इतना तो जरूर है कि साजिश की सरकारी कहानी पर सवाल तो खड़ा हो गया है.

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