PM मोदी के US दौरे के दौरान हो सकती है जेट इंजन डील, जानें- क्यों है इस पर सबकी नजर

जेट इंजन तकनीक को विमानन क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता रहा है. कई देश इसे हासिल करने के प्रयास में हैं. लेकिन बहुत कम देशों के पास यह तकनीक अभी उपलब्ध है.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं. इस यात्रा में दोनों ही देशों के बीच कई समझौते होने की संभावना है. भारत को जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा निर्मित महत्वपूर्ण इंजन प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को लेकर डील की संभावना है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) के साथ करोड़ों डॉलर के समझौते के बाद जनरल इलेक्ट्रिक भारत में GE-F414 जेट इंजन का उत्पादन करने में सक्षम होगा. 

जेट इंजन तकनीक को विमानन क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. हर देश इसे हासिल करना चाहता है. लेकिन बहुत कम देशों के पास यह तकनीक उपलब्ध है. भारत में इन इंजनों का निर्माण भारतीय हवाई क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी साबित हो सकता है. 

GE-F414 एक अत्याधुनिक जेट इंजन है जो US नेवी के गो-टू फाइटर F/A-18 हॉर्नेट को शक्ति प्रदान करता है. रिपोर्टों से पता चलता है कि अमेरिका सौदे के मूल्य के 80 प्रतिशत तक की प्रमुख प्रौद्योगिकी को स्थानांतरित करने को तैयार है - यह LCA-Mark2 को मजबूती प्रदान करेगा, जो भारत में निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) का एक उन्नत संस्करण है. 
इस सौदे के बाद जनरल इलेक्ट्रिक एचएएल के साथ साझेदारी में भारत में न केवल सिंगल-क्रिस्टल टर्बाइन ब्लेड बनाने के लिए आवश्यक निर्माण प्रक्रियाओं की शुरुआत हो जाएगी, बल्कि दहन के लिए लेजर ड्रिलिंग, पाउडर मेटलर्जी विज्ञान को भी बढ़ावा मिलेगा.  

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इस डील के बाद जनरल इलेक्ट्रिक HAL के साथ साझेदारी में भारत में न केवल सिंगल-क्रिस्टल टर्बाइन ब्लेड बनाने के लिए आवश्यक निर्माण प्रक्रियाओं को शुरू करेगा, बल्कि दहन के लिए लेजर ड्रिलिंग,  पाउडर मेटलर्जी विज्ञान की मशीनिंग और अन्य प्रमुख घटकों सहित भारत में दुकान खोलेगी. साथ ही कंप्रेशन डिस्क और ब्लेड का निर्माण भी भारत में होगा. 

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GE-414-IN6 इंजन, जब भारत में बनाया जाएगा, भारत के स्वदेशी तेजस Mk-2 लड़ाकू के साथ-साथ भविष्य के AMCA - या एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, एक स्टील्थ फाइटर को भी इसका लाभ मिलेगा. डील के बाद, भारतीय वायु सेना (IAF) के पास विश्वसनीय और लंबे समय तक चलने वाले जेट इंजन होंगे जिन्हें कई हज़ार घंटों के बाद ओवरहाल किया जा सकता है. रूसी इंजनों को अक्सर कुछ सौ घंटों में ओवरहाल की आवश्यकता होती थी. विशेषज्ञों का कहना है कि जीई इंजन हल्के, अधिक शक्तिशाली, अधिक ईंधन कुशल हैं और भविष्य में उपयोग के लिए उन्नत किए जाने की क्षमता रखते हैं.

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गौरतलब है कि अमेरिका ने कभी भी इस स्तर की प्रौद्योगिकी को किसी को हस्तांतरित करने की अनुमति नहीं दी है. अत्याधुनिक जेट इंजनों में ऐसे घटक शामिल हैं जो गहराई से आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) संरक्षित हैं. भारत को जो तकनीक मिल सकती है, उसमें सिंगल-क्रिस्टल टर्बाइन ब्लेड की कोटिंग और मशीनिंग शामिल है.पारंपरिक निर्माण तकनीकों का उपयोग करते हुए, पुराने जेट इंजनों में उपयोग की जाने वाली धातु की मिश्रधातुएँ उच्चतम तापमान पर विफल हो जाती है. दुनिया की बहुत ही कम कंपनियों ने सिंगल-क्रिस्टल टर्बाइन एयरफॉइल्स के उपयोग को विकसित करना सीखा है.

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सुपर-मिश्र धातुओं की गहन केमिकल इंजीनियरिंग के माध्यम से, सिंगल-क्रिस्टल टर्बाइन एयरफॉइल्स बनाया जाएगा जिससे यह लाभ होंगे. 

  • करोश़न रेज़िस्टेंस के खिलाफ 3 गुना अधिक इंजन लाइफ प्रोटेक्शन इस तकनीक से मिलेगा. 
  • इसका वजन तुलनात्मक रूप से काफी कम होगा
  • मेल्टिंग पॉइंट इसका काफी अधिक होगा जिससे नुकसान काफी कम होने की संभावना रहेगी

 
 

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