जानें कि कहां आज हिंदू पंचांग के अनुसार मनाया गया स्वतंत्रता दिवस

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देश भर में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ का जश्न 15 अगस्त को जोर-शोर से मनाने की तैयारियां चल रही हैं,  लेकिन आपको जानकर हैरत हो सकती है कि उज्जैन और मंदसौर के दो प्रसिद्ध मंदिरों में यह राष्ट्रीय पर्व ग्रेगोरियन कैलेण्डर की इस तारीख से 19 दिन पहले बुधवार को मना लिया गया है.

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उज्जैन और मंदसौर में हिंदू पंचांग के अनुसार मनाया गया स्वतंत्रता दिवस. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
उज्जैन:

आजादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsava)  के तहत देश भर में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ का जश्न 15 अगस्त को जोर-शोर से मनाने की तैयारियां चल रही हैं,  लेकिन आपको जानकर हैरत हो सकती है कि उज्जैन (Ujjain) और मंदसौर (Mandsaur)  के दो प्रसिद्ध मंदिरों में यह राष्ट्रीय पर्व ग्रेगोरियन कैलेण्डर की इस तारीख से 19 दिन पहले बुधवार को मना लिया गया है. दरअसल, दोनों मंदिरों में पिछले कई सालों से चली आ रही अनूठी परंपरा के तहत हिन्दू पंचांग (Hindu Calendar) के आधार पर श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस साल यह तिथि 27 जुलाई (बुधवार) को पड़ी है.

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित बड़ा गणेश मंदिर के प्रमुख आनंद शंकर व्यास ने कहा,”'देश 15 अगस्त 1947 को जब अंग्रेजी राज से आजाद हुआ, तब हिंदू पंचांग के मुताबिक श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी. हम पिछले 45 सालों से इसी तिथि के अनुसार विशेष पूजा-पाठ कर स्वतंत्रता दिवस मनाते आ रहे हैं ताकि भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिले.'

उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के वार्षिक आयोजन के तहत बुधवार को लोग झांझ-मंजीरे, डमरू, शंख और घंटे-घड़ियाल जैसे पारम्परिक वाद्य बजाते हुए तिरंगे झंडे के साथ बड़ा गणेश मंदिर पहुंचे. व्यास ने बताया कि मंदिर में भगवान गणेश तथा तिरंगे की पूजा की गई और भोग-आरती के बाद राष्ट्रध्वज को मंदिर पर पूरे सम्मान के साथ लगा दिया गया.

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इसी तरह, इंदौर से लगभग 250 किलोमीटर दूर मंदसौर में शिवना नदी के किनारे स्थित प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर में भी बुधवार को स्वतंत्रता दिवस मनाया गया.

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पशुपतिनाथ मन्दिर के पुरोहितों और यजमानों की संस्था 'ज्योतिष एवं कर्मकांड परिषद' के अध्यक्ष उमेश जोशी ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम के दौरान अष्टमुखी शिवलिंग का विशेष श्रृंगार कर पूजा-अर्चना की गई. जोशी ने कहा,'हमने वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच दूर्वा (पूजा में इस्तेमाल होने वाली खास तरह की घास) के जल से शिवलिंग का अभिषेक किया और देश की समृद्धि के लिए प्रार्थना की.'

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उन्होंने बताया कि पिछले दो साल से कोविड-19 के प्रकोप के कारण पशुपतिनाथ मंदिर में स्वतंत्रता दिवस सीमित स्वरूप में मनाया जा रहा था, लेकिन इस बार इसके आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. जोशी के मुताबिक, मंदसौर के इस प्राचीन मंदिर में श्रावण कृष्ण चतुर्दशी को स्वतंत्रता दिवस मनाने की परंपरा वर्ष 1985 से जारी है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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