हैदराबाद में नाबालिग की शादी का मामला सामने आया है
हैदराबाद:
13 साल की श्रुति (नाम बदला हुआ) के पास करने के लिए जरूरत से ज्यादा होमवर्क है. उसके हाथ मेहंदी से रचे हुए हैं और उसके गले में मंगलसूत्र है - उसके स्कूल छोड़ने में अभी चार साल बचे हैं लेकिन वह अभी से किसी की 'पत्नी' हैं. भारत में लड़की की शादी करने की वैध उम्र 18 है और लड़के की 21 है. लेकिन श्रुति और 15 साल के आदित्य (नाम बदला हुआ) दोनों को नाबालिग होते हुए भी उनके माता पिता ने बीते बुधवार गुप्त रूप से शादी के बंधन में बांध दिया.
दोनों ने NDTV से बातचीत में कहा कि वह शादी नहीं करना चाहते थे और बाकी के बच्चों की तरह पढ़ाई जारी रखना चाहते थे. लेकिन उनके परिवार ने कहा कि अगर वे शादी कर लेंगे तो यह सबके लिए अच्छा होगा. आदित्य ने अपने पिता से पूछा था कि अगर सबको पता चल गया तो क्या होगा. लेकिन जवाब मिला कि यह तो परंपरा है.
जब इस मामले की तरफ प्रशासन का ध्यान खींचा गया तब बच्चों को बाल सुरक्षा गृह में रखा गया और अभिभावकों के खिलाफ बाल विवाह उन्मूलन कानून के तहत केस दर्ज किया गया है. उधर अभिभावकों का कहना है कि वह तो सिर्फ परंपरा का पालन कर रहे थे और भले ही कानून इससे सहमत न हो लेकिन वह मानते हैं कि ऐसा करना सही है.
दुल्हन के पिता रमेश शर्मा का कहना है कि अपने बच्चे की भलाई करने के लिए उन्हें सज़ा दी जा रही है. वह कहते हैं 'हम तो हिंदू परंपरा का पालन कर रहे थे और आप हमें मंदिर से यहां पुलिस थाने ले आए.'
बाल अधिकार आयोग के सदस्य अच्युत राव का कहना है कि इसके पीछे की वजह गरीबी नहीं अंधविश्वास है. उन्होंने कहा 'लड़की बालिग भी नहीं है लेकिन उन्हें लगता है कि इस शादी से समृद्धि आएगी.'
दोनों ने NDTV से बातचीत में कहा कि वह शादी नहीं करना चाहते थे और बाकी के बच्चों की तरह पढ़ाई जारी रखना चाहते थे. लेकिन उनके परिवार ने कहा कि अगर वे शादी कर लेंगे तो यह सबके लिए अच्छा होगा. आदित्य ने अपने पिता से पूछा था कि अगर सबको पता चल गया तो क्या होगा. लेकिन जवाब मिला कि यह तो परंपरा है.
जब इस मामले की तरफ प्रशासन का ध्यान खींचा गया तब बच्चों को बाल सुरक्षा गृह में रखा गया और अभिभावकों के खिलाफ बाल विवाह उन्मूलन कानून के तहत केस दर्ज किया गया है. उधर अभिभावकों का कहना है कि वह तो सिर्फ परंपरा का पालन कर रहे थे और भले ही कानून इससे सहमत न हो लेकिन वह मानते हैं कि ऐसा करना सही है.
दुल्हन के पिता रमेश शर्मा का कहना है कि अपने बच्चे की भलाई करने के लिए उन्हें सज़ा दी जा रही है. वह कहते हैं 'हम तो हिंदू परंपरा का पालन कर रहे थे और आप हमें मंदिर से यहां पुलिस थाने ले आए.'
बाल अधिकार आयोग के सदस्य अच्युत राव का कहना है कि इसके पीछे की वजह गरीबी नहीं अंधविश्वास है. उन्होंने कहा 'लड़की बालिग भी नहीं है लेकिन उन्हें लगता है कि इस शादी से समृद्धि आएगी.'
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