बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक कई ऐसी शानदार फिल्में बनी हैं जो देखने वाले को जीवन जीने का सलीका सीखा जाती हैं. ऐसी फिल्में जो दर्द और परेशानियों में डूबे इंसान को भी जीने की नई ऊर्जा और प्रेरणा देती हैं. फिल्मकार केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं बल्कि लोगों के बीच एक संदेश पहुंचाने के लिए भी इस तरह की फिल्में बनाते हैं. आप हॉलीवुड सिनेमा के शौकीन हैं तो यहां की इन चार फिल्मों को आपको जरूर देखना चाहिए.
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लाइफ ऑफ पाई
ये फिल्म सिखाती है कि अपनी जिंदगी में डर को हावी होने देने के बजाय हमें उसे हराने की कोशिश करनी चाहिए. दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने आप में विश्वास से हर डर को जीता जा सकता है. यान मार्टेल्स की उपन्यास 'लाइफ ऑफ पीआई' पर आधारित इस फिल्म में इमरान खान और सूरज शर्मा मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म के जरिए ये बताने की कोशिश की गई है कि डर कैसे आपके मन पर नियंत्रण करना शुरू कर देता है, वहीं बस जाता है. आपको इस डर को जीतना होगा. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो ये आपकी चेतना और अवचेतन दोनों में बस जाता है फिर इस पर कंट्रोल करना मुश्किल होता है.
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द कलर पर्पल (1985)
फिल्म 'द कलर पर्पल' को रिलीज़ हुए लगभग 35 साल हो चुके हैं. यह एलिस वाकर के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है. यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ हॉलीवुड प्रेरक फिल्मों में से एक है. यह हॉलीवुड में अश्वेत महिलाओं के लिए एक नया और मजबूत रास्ता बनाती है. फिल्म में दिखाया गया है कि एक ऐसी जगह जहां महिलाओं के साथ हीन व्यवहार किया जाता है और वे महज प्रजनन का एक साधन हैं, ये महिलाएं अपने लिए खड़ी होती हैं और न सिर्फ खड़ी होती हैं बल्कि कामयाबी हासिल की. फिल्म के कुछ दृष्य सीधे आपकी आत्मा में उतर जाते हैं.
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अक्टूबर स्काई (1999)
चार युवाओं की ये कहानी सिखाती है कि आपको अपने सपनों की ओर बढ़ते रहना है, चाहे कोई उन पर भरोसा करे न करे आपको अपने सपनों पर यकीन रखना है. एक लड़का जो वेस्ट वर्जीनिया में अपने छोटे से शहर से उड़ान भरने के लिए अपना खुद का रॉकेट बनाना चाहता है, लेकिन कोई उस पर विश्वास नहीं करता, खासकर उनके पिता. हालांकि वो अपनी जर्नी के दौरान कुछ लोगों के साथ जुड़ता है और अंत में अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है. फिल्म आपको प्रेरित भी करती है और रोमांचित भी करती है.
लाइफ इज ब्यूटीफुल
ये फिल्म आपको अपननी इच्छाशक्ति और आपकी अवचेतना से परिचित कराती है. फिल्म सिखाती है कि आप जिस चीज को पाना चाहते हैं, उसे पा लेते हैं, ये सब आपकी इच्छाशक्ति पर निर्भर है. फिल्म के एस सीन में फेरुशियो कहती है कि मैं अभी सोना चाहती हूं, तो मैं अपने आप से कह रही हूं कि मैं सो रही हूं, सो रही हूं और सो रही हूं और वह सो जाती है. ऐसे में फिल्म देख कर आप इस बात के लिए प्रेरित होते हैं कि कुछ पाना है कि इच्छाशक्ति मजबूत रखनी होगी.