Revenge Bedtime Procrastination: अपनी ही नींद के दुश्मन को कहते हैं Revenge Bedtime Procrastination, जानिए इससे बचने का तरीका

थकान भरे दिन के बाद टीवी देखने को रिलीफ टाइम का नाम देकर लोग घंटों जागते रहते हैं. ये मानकर कि वो खुद को रिलैक्स कर रहे हैं. इस साइकोलॉजी के चलते वो नींद से समझौता करते हैं. पर दरअसल वो रिलैक्स नहीं बल्कि बड़ी मुश्किलों को बुलावा दे रहे होते हैं.

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एक बहुत व्यस्त और बेहद थकान भरे दिन के बाद क्या आप भी टीवी देखकर खुद को रिफ्रेश करते हैं. स्क्रीन के सामने बैठे रहने का सिलसिला देर रात तक जारी रहता है. कभी आंखें मसल कर, कभी मुंह धोकर नींद उड़ाते हैं. जरूरत पड़ी तो चाय की चुस्कियों से भी ऐतराज नहीं. पर बस सोना नहीं है. अगर आप हर रोज रात में इसी तरह अपनी ही नींद से दुश्मनी निभाते हैं, तो आप Revenge Bedtime Procrastination के शिकार हैं. इसका सीधे सीधे आशय ये माना जा सकता है कि दिन भर आपने जितनी मेहनत मशक्कत की है, आप बिजी रहे हैं. अब उसका बदला अपनी नींद से ले रहे हैं और रिफ्रेश होने के नाम पर सिर्फ स्क्रीन के साथ वक्त बिता रहे हैं.

Revenge Bedtime Procrastination के कारण

वैसे तो इस पर शोध जारी हैं. पर अभी रिसर्च करने वाले इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि थकान भरे दिन के बाद टीवी देखने को रिलीफ टाइम का नाम देकर लोग घंटों जागते रहते हैं. ये मानकर कि वो खुद को रिलैक्स कर रहे हैं. इस साइकोलॉजी के चलते वो नींद से समझौता करते हैं. पर दरअसल वो रिलैक्स नहीं बल्कि बड़ी मुश्किलों को बुलावा दे रहे होते हैं.

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रिलीफ के नाम पर रोग

जरूरत से ज्यादा देर जागकर और रिलैक्स होने के नाम पर सिर्फ टीवी देखकर हो सकता है आप कई तरह की मानसिक परेशानियों को न्यौता दे रहे हों. एक एडल्ट को कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए. बच्चों को इससे भी ज्यादा. कभी कभी इस टाइम से समझौता किया जा सकता है. पर अगर ये रेग्यूलर हैबिट बन चुकी है तो आप तमाम तरह की परेशानियों से घिर सकते हैं. कम नींद की वजह से सोचने समझने की क्षमता में कमी, एकाग्रता में कमी, कमजोर याददाश्त, एंजाइटी और चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियां हो सकती हैं. 

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ये सिलसिला लंबा चलता रहा तो रोगों की गंभीरता भी बढ़ सकती है. विशेषज्ञों के मुताबिक कम नींद की वजह से दिल की बीमारियां, डायबिटीज, ओबेसिटी तक हो सकती है. इसका प्रभाव इम्यून सिस्टम यानि कि रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी पड़ सकता है. डिप्रेशन की समस्या भी खड़ी हो सकती है. 

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Revenge Bedtime Procrastination से कैसे बचें?

अपनी ही नींद से बदला लेने से बचने का एक ही तरीका है. मन मारकर टीवी ऑफ कर दीजिए. इसके अलावा आपके कमरे में जितनी स्क्रीन हों उन्हें भी बंद कर दीजिए. ताकि दिमाग और नींद के बीच जारी जंग खत्म हो सके और आराम से नींद के आगोश में समा सकें. 

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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