Anxiety: क्या है एंग्जाइटी, क्यों होती है, कैसे करती है प्रभावित, इसे कैसे करें कंट्रोल, जानें सबकुछ

तनाव, टेंशन, बेचैनी, बेसब्री सब इसी एंग्जाइटी का एक हिस्सा हैं. जो धीरे धीरे इसे एक ऐसी मानसिक स्थिति बना देते हैं कि इससे उबरना फिर आसान नहीं होता. अक्सर एंग्जाइटी को किसी काम का टेंशन या फिर उतावलापन मान कर छोड़ दिया जाता है. पर मामला इससे कहीं ज्यादा गंभीर हो सकता है. इसलिए विशेषज्ञ भी यही सलाह देते हैं कि किसी भी प्रकार के टेंशन को हल्के में न लें.

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अरे, टेंशन मत ले यार, दोस्तों के बीच अक्सर चलने वाले इस जुमले में कितनी गंभीरता हो सकती है. इसका अंदाजा लगाना भी आसान नहीं है. आम सा लगने वाला ही ये टेंशन अगर बढ़ता चला जाए तो एंग्जाइटी का रूप ले लेता है. तनाव, टेंशन, बेचैनी, बेसब्री सब इसी एंग्जाइटी का एक हिस्सा हैं. जो धीरे धीरे इसे एक ऐसी मानसिक स्थिति बना देते हैं कि इससे उबरना फिर आसान नहीं होता. अक्सर एंग्जाइटी को किसी काम का टेंशन या फिर उतावलापन मान कर छोड़ दिया जाता है. पर मामला इससे कहीं ज्यादा गंभीर हो सकता है. इसलिए विशेषज्ञ भी यही सलाह देते हैं कि किसी भी प्रकार के टेंशन को हल्के में न लें.
 

एंग्जाइटी के मुख्य कारण

एंग्जाइटी होने की कोई उम्र, कोई विशेष परिस्थिति नहीं हो सकती. ये कभी भी किसी भी उम्र में और किसी भी बात पर किसी को भी हो सकती है. एक ही बात का ज्यादा तनाव लेना और उसके बारे में लगातार सोचते रहना. एंग्जाइटी की शुरुआत मानी जा सकती है. सोचते-सोचते कुछ नेगेटिव ख्यालात आने लगना. एंग्जाइटी की शुरुआत का मुख्य कारण है. अनियमित दिनचर्या, अनहेल्दी फूड हैबिट्स भी एंग्जाइटी बढ़ाने में कैटलिस्ट की भूमिका ही निभाते हैं.

 
एंग्जाइटी बढ़ने के नुकसान

एंग्जाइटी कहने को तो एक मानसिक समस्या है. पर इसके और भी कई दुष्प्रभाव होते हैं. एक तरह से एंग्जाइटी रोज के कामकाज और हमारी सेहत को भी प्रभावित कर सकती है. इसका सबसे पहला असर दिमाग पर पड़ता है और धीरे धीरे पूरा शरीर इसकी चपेट में आता चला जाता है. एंग्जाइटी पीड़ितों को कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है. उनकी भूख पर इसका असर दिखता है. अक्सर खाना स्किप करना आदत बन जाती है. जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है. भूख डिस्टर्ब होने के बाद नींद खराब होती है. जिस वजह से आगे चलकर हथेलियों से पसीना आना, बीपी, शुगर हार्ट से जुड़ी तकलीफें तक होने लगती हैं.

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एंग्जाइटी से कैसे बचें?

अगर आप खुद में ऐसा बदलाव देख कर रहे हैं कि आप जरूरत से ज्यादा तनाव लेने लगे हैं. तो समझ लीजिए संभलने का वक्त आ चुका है. या अपने आसपास किसी को तनावग्रस्त देखें तो उसे मुश्किल से निकालने की कोशिश जरूर करें. कुछ छोटे छोटे उपाय एंग्जाइटी से काफी हद तक निजात दिला सकते हैं. सबसे पहले तो कोशिश करें कि तनाव कम से कम लें. इसके लिए जरूरी है कि बेवक्त जंक फूड लेने की जगह हेल्दी फूड की आदत डालें. फल सब्जियों को अपने भोजन की थाली का हिस्सा बनाए. कोशिश करें की ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर सही समय पर लें. शराब, सिगरेट या दूसरे किसी नशे की आदत है तो उसे छोड़ने की पूरी कोशिश करें. अगर आपको ज्यादा कॉफी पीने की आदत हैं, तो इस आदत को कंट्रोल कर लीजिए. कॉफी में मौजूद कैफीन कई तरह से एंग्जाइटी बढ़ाने का कारण बन सकता है. एक निश्चित समय पर सोने की आदत डालें साथ ही भरपूर नींद लेना न भूलें.

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ये सारी कोशिशें करके भी आप एंग्जाइटी पर काबू नहीं पा रहे हैं तो समझ लीजिए  कि अब वक्त डॉक्टर की मदद लेने का हो चुका है. ये याद रखें कि किसी की भी सलाह पर एंग्जाइटी से जुड़ी दवा न खाएं. इसका उपचार शुरू करने से पहले मनोचिकित्सक की सलाह जरूर लें और फिर इलाज शुरू करें.

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अस्वीकरण: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं. एनडीटीवी इस लेख की किसी भी जानकारी की सटीकता, पूर्णता, उपयुक्तता या वैधता के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. सभी जानकारी यथास्थिति के आधार पर प्रदान की जाती है. लेख में दी गई जानकारी, तथ्य या राय एनडीटीवी के विचारों को नहीं दर्शाती है और एनडीटीवी इसके लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व नहीं लेता है.

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