Psoriasis Vs Eczema: एक्जिमा और सोरायसिस दो त्वचा संबंधी बीमारी है जो बहुत समान दिख सकती हैं, लेकिन तकनीकी रूप से अलग हैं. इन दोनों बीमारियों का समय रहते इलाज न कराया जाए तो स्थिति काफी खराब हो सकती हैं. आइए जानते हैं आखिर इन दोनों त्वचा की बीमारी एक्जिमा और सोरायसिस में अंतर क्या है?
सोरायसिस और एक्जिमा के लक्षणों में कैसे करें फर्क? जानें कौन सी चीजें करती हैं ट्रिगर (Psoriasis vs eczema: Here's how you can differentiate)
क्या है एक्जिमा (Eczema)
त्वचा से संबंधित बीमारी एक्जिमा को दूसरे शब्दों में एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis) के नाम से जाना जाता है. इसमें त्वचा पर सूजन, खुजली, लाल धब्बे पड़ जाते है. इस बीमारी में कुछ लोगों को चमड़ी पर छाले भी हो जाते हैं. कभी-कभी अनुवांशिक कारणों से भी किसी को एक्जिमा की बीमारी हो सकती है. इसके अलावा व्यक्ति का इम्यून सिस्टम सही नहीं है तो भी एक्जिमा उसे प्रभावित कर सकता है. एक्जिमा छोटे बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है. बहुत से लोग एक्जिमा की समस्या को एक सामान्य त्वचा की समस्या समझकर नजर अंदाज कर देते है जो आगे चलकर किसी बड़ी बीमारी का कारण बन जाता है. इसलिए एक्जिमा के लक्षण नजर आने पर तुरंत त्वचा रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.
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एक्जिमा के लक्षण
बहुत खुजली होना,लाल धब्बे आ जाना, पस भरे फोड़े होना, खुजलाने से खून निकलने लगना,त्वचा पर जलन होना,चिड़चिड़ापन और अवसाद
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एक्जिमा का इलाज़
एक्जिमा के इलाज में त्वचा पर नारियल तेल का इस्तेमाल राहत देता है. नारियल तेल में पाए जाने वाले एंटीसेप्टिक, एंटी- ऑक्सीडेंट और एंटी- इंफ्लेमेटरी गुणों से खुजली में राहत मिलती है. इन सब घरेलू उपाय के अलावा इसके इलाज में हाईड्रोकार्टिसोन स्टेरॉयड क्रीम भी इस्तेमाल करते है.वो चीजें अवॉइड करें जिनसे आपको खुजली होती है.
सोरायसिस (Psoriasis)
दूसरी बीमारी सोरायसिस भी त्वचा में होने वाली एक आम समस्या है. ये पुरुषों और महिलाओं दोनों में, किसी भी उम्र में, हो सकता है. सोरायसिस होने का एक अहम कारण इम्यून सिस्टम का कमजोर होना भी हो सकता है. इसके अलावा त्वचा पर कोई घाव जैसे- त्वचा कट जाना, मधुमक्खी काट लेना या धूप में त्वचा का झुलसना. सोरायसिस होने का कारण बन सकता है.इसके अलावा शरीर में विटामिन डी (Vitamin D) की कमी होने, एवं उच्च रक्तचाप से संबंधित कुछ दवाइयां खाने से भी यह रोग होता है. इसके बारे में कोई पहले अनुमान नहीं लगाया जा सकता है और यह आती-जाती रहती है. इसकी वजह से त्वचा लाल हो जाती है, और उसमें पपड़ी या छोटे- छोटे छाल बनकर गिरने लगती है. गौरतलब है कि यह बीमारी संक्रामक नहीं है.
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सोरायसिस के लक्षण
इसमें त्वचा में लाल खुरदुरे धब्बे हो जाते हैं.इसकी पहचान त्वचा के ऊपर बनने वाली सफेद रंग की पपड़ी से होती है. ये पपड़ी कुछ दिनों में प्रभावित जगह से निकलती रहती हैं. शुरुआती के दिनों में यह पपड़ी 3 से 4 हफ्तों में झड़ती है, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर 3 से 4 दिनों में ही झड़ने लगती है.त्वचा का लाल होना, उसमें खुरदरे धब्बे, खुजली और मोटापा, चटकना और हथेलियों या पैर के तलवों में फफोले पड़ना इसके रोग के प्रमुख लक्षण है.
सोरायसिस का इलाज
सोरायसिस का एलोपैथी, आयुर्वेद और होम्योपैथी तीनों ही पद्धतियों में इलाज उपलब्ध है. सोरायसिस होने पर हल्दी का प्रयोग लाभकारी माना जाता है. इसके अलावा पीड़ित को गुलाब जल और फिटकरी के पानी से नहाने की भी सलाह दी जाती है. इससे सोरायसिस के मरीज को होने वाली खुजली और त्वचा के रूखपने से राहत मिलती है.
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स्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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