Gestational Diabetes: क्यों और किसे हो सकता इस प्रकार का डायबिटीज है, 5 शुरुआती लक्षण, इलाज और बचाव

Gestational Diabetes Symptoms: प्रेगनेंसी में इन दिनों एक तकलीफ थोड़ी आम हो गई है जेस्टेशनल डायबिटीज. गर्भधारण के बाद होने वाली डायबिटीज से कैसे बचें और क्या इलाज लें. ये जान लेना अब बेहद जरूरी हो गया है.

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Gestational Diabetes: जेस्टेशनल डायबिटीज जांचने के लिए या तो ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है

Gestational Diabetes Treatment: प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला कितने शारीरिक बदलावों से गुजरती है ये सिर्फ वो महिला ही समझ सकती है. इस दौरान ये बदलाव तो मुश्किलें बढ़ाते ही हैं. अक्सर कुछ ऐसी तकलीफें भी हो जाती हैं जिनकी शुरुआत गर्भधारण से ही होती है. एक तरफ किसी नई जान के पनपने की खुशी होती है. तो दूसरी तरफ कभी कभी इतनी परेशानियां घेर लेती हैं कि नौ महीने का वक्त निकालना दूभर हो जाता है. इन्हीं दिनों में एक तकलीफ होती है जेस्टेशनल डायबिटीज. इस परेशानी को समझें और पहचाने ताकि गर्भावस्था में अगर इस समस्या से दो चार होना ही पड़ जाए तो उपचार में देरी न हो.

क्या है जेस्टेशनल डायबिटीज, किसे और क्यों होती है?

जेस्टेशनल डायबिटीज एक तरह की डायबिटीज ही है जो प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को होती है. अक्सर ये डायबिटीज उन महिलाओं को होती है जिनका वजन सामान्य दिनों में भी ज्यादा रहता है या फिर उनकी लाइफस्टाइल थोड़ी सिडेंट्री (निष्क्रिय) होती है. ऐसी महिलाओं को गर्भावस्था में डायबिटीज होने की संभावना ज्यादा होती है.

जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण

हो सकता है आपके परिवार में कभी डायबिटीज की हिस्ट्री न रही हो. फिर भी आप गर्भावस्था के दौरान इस समस्या का शिकार हो सकती हैं. अगर गर्भवती महिला को प्यास में कुछ अंतर लगे, बार बार यूरिन आए, बहुत ज्यादा थकान या उल्टी जैसा महसूस हो, यूरिनरी ट्रैक में असहनीय जलन हो या फिर किसी इंफेक्शन का खतरा महसूस हो. तो बिना देर किए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें. क्योंकि ये जेस्टेशनल डायबिटीज के भी लक्षण हो सकते हैं.

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डायग्नोज करने के तरीके

जेस्टेशनल डायबिटीज जांचने के लिए या तो ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है या फिर ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट किया जाता है. इनिशियल ग्लूकोज टेस्ट में गर्भवती महिला को ग्लूकोज पिलाया जाता है. और एक घंटे बाद ब्लड टेस्ट होता है. ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट यानि कि जीटीटी में ग्लूकोज का घोल पिलाया जाता है और तीन से चार बार हर घंटे ब्लड सैंपल लिया जाता है. जिसके आधार पर तय किया जाता है कि कहीं गर्भवती महिला जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकार तो नहीं.

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जेस्टेशनल डायबिटीज का इलाज

जिस गर्भवती महिला को ये डायबिटीज होती है उसे पोषण के साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि ब्लड शुगर सामान्य रहे. इसके लिए डॉक्टर नियमित रूप से पौष्टिक आहार लेने और कुछ सेफ व्यायाम करने की सलाह देते हैं. शुगर लेवल ज्यादा बढ़ने पर इंसुलिन भी लेने की नौबत आ सकती है.

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जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव के तरीके

वैसे तो इस डायबिटीज से बचाव या इसके होने की सटीक परिभाषा नहीं है. क्योंकि ये किसी भी महिला को हो सकती है, प्रेगनेंसी के दौरान. पर बचने की संभावनाओं पर जोर दिया जा सकता है. अगर आप फैमिली प्लान करने पर सोच रहे हैं तो जरूरी है कि होने वाली मां पहले से ही अपनी सेहत का ध्यान रखें. प्लानिंग के साथ ही अपने खान पान पर विशेष  ध्यान दिया जाए और शरीर को व्यायाम की आदत डाली जाए. जब खुद फिट महसूस करें उसके बाद ही गर्भधारण की कोशिश करें. इससे आप काफी हद तक जेस्टेशनल डायबिटीज के खतरे को खुद से दूर रख सकती हैं.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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