Milk and diabetes: कैल्शियम की जरूरत को पूरा करने के लिए दूध से आसान और बेहतर सबसे विकल्प कुछ भी नहीं है. दूध प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है. दूध में पोषक तत्वों का अनूठा संतुलन है, जो कई बार संपूर्ण भोजन का काम करता है. बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में दूध को सहायक बताया गया है. दूध में कैल्शियम, फास्फोरस, राइबोफ्लेविन, विटामिन ए,विटामिन डी, पोटेशियम, पैंटोथेनिक एसिड, और नियासिन सहित कई आवश्यक तत्व पाए जाते हैं. दूध की तमाम विशेषताओं के बावजूद दूध को लेकर एक सवाल उठता रहा है कि क्या दूध पीने से टाइप-1 डायबिटीज हो सकता है..? इस सवाल का जवाब हम आपको देंगे, लेकिन पहले जान लीजिए क्या है टाइप-1 डायबिटीज
जानते हैं क्या है डायबिटीज टाइप-1
डायबिटीज दो प्रकार की होती हैं. टाइप-1 और टाइप-2. टाइप-1 डायबिटीज को किशोर मधुमेह भी कहा जाता है.डायबिटीज टाइप-1 की समस्या किसी बच्चे में जन्म से भी देखने को मिल सकती है,या बहुत कम उम्र में भी ये डायबिटीज बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले सकती है. इस स्थिति में शरीर के अंदर इंसुलिन बिल्कुल नहीं बनता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वंशानुगत कारणों से पैंक्रियाज में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है.
क्या दूध पीने से होता है टाइप-1 डायबिटीज ?
कई लोग ये भी मानते हैं कि दूध के सेवन से टाइप -1 डायबिटीज की शुरुआत हो सकती है. दरअसल, जो तथ्य निकलकर सामने आए हैं उनमें कुछ लोगों को दूध में पाए जाने वाले लैक्टोज़ को पचाने में मुश्किल हो सकती है. सामान्य तौर पर इंसानों ने सालों से शरीर में लैक्टोज को पचाने की क्षमता विकसित की है, जिससे की दूध का सेवन जीवन भर आसानी से किया जा सकता है. लैक्टोज़ मस्तिष्क विकास में मदद करता है. ऐसे में इस बात का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि दूध पीने से डायबिटीज हो सकता है. इस सिद्धांत से उलट वैज्ञानिकों का तर्क है कि वास्तव में दूध डायबिटीज के लिए फायदेमंद होता है.
वैज्ञानिकों का क्या है तर्क
इसे लेकर वैज्ञानिकों का तर्क है कि ऐसा कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है जो ये बता सके कि दूध मधुमेह पैदा करता है. रिसर्च कहती है कि दूध हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. हालांकि दूध एक निश्चित मात्रा में लिया जाना चाहिए. डायबिटीज के मरीजों के लिए एक या दो गिलास ठीक है. वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है जो बताता है कि दूध पीने से टाइप -1 डायबिटीज होती है.
चेन्नई शहरी ग्रामीण महामारी विज्ञान अध्ययन (CURES) ने डेयरी और दूध को सुरक्षित बताते हुए एक रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दूध का डायबिटीज के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव है. ये अध्ययन पांच महाद्वीपों के 21 देशों में डेढ़ लाख व्यक्तियों पर किए गए. जिसमें भारत के पांच हिस्से भी शामिल थे. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दूध में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी के कोई सबूत नहीं मिले हैं.
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स्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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