Chronic Kidney Disease: क्रोनिक किडनी डिजीज, जिसे क्रोनिक किडनी फेल्योर (chronic kidney failure) भी कहा जाता है, इसमें धीरे-धीरे किडनी काम करना बंद कर देता है. किडनी यानी गुर्दे आपके खून से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को छानने का काम करते हैं, जो बाद में मूत्र के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है. क्रोनिक किडनी डिजीज जब एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है तो इसके चलते शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ, इलेक्ट्रोलाइट्स और गंदगी जमा होने लगती है.
क्रोनिक किडनी डिजीज के शुरुआती चरणों में, आपको कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं. लेकिन यह भी हो सकता है इस बीमारी का पता आपको तब तक न चलें जब स्थिति गंभीर हो जाए. क्रोनिक किडनी डिजीज के लिए उपचार आमतौर पर कारण को नियंत्रित करके किडनी के नुकसान होने की गति को धीमा किया जा सकता है. कई बार कारणों को नियंत्रित करने के बाद भी यह बीमारी बढ़ जाती है और इसका परिणाम किडनी फेलियर होता है. फिर इसका एक मात्र इलाज डायलिसिस (Dialysis) या किडनी ट्रांस्प्लांट (kidney transplant) होता है.
क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण (Symptoms of Kidney Disease)
क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण समय के साथ दिखते है. किडनी की कार्यक्षमता में कमी से द्रव या अपशिष्ट या इलेक्ट्रोलाइट शरीर में जमा होने लगते हैं. इस बीमारी को नीचे दिए जा रहे लक्षणों से पहचाना जा सकता है-
-जी मिचलाना
-उल्टी करना
-भूख में कमी
-थकान और कमजोरी
-नींद की समस्या
-पेशाब कम या ज्यादा होना
-मानसिक तेज में कमी
-मांसपेशियों में ऐंठन
-पैरों और टखनों में सूजन
-सूखी, त्वचा में खुजली
-उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप) जिसे नियंत्रित करना मुश्किल है
-सांस की तकलीफ, अगर फेफड़ों में तरल पदार्थ बनता है
-सीने में दर्द आदि
डॉक्टर के पास कब जाएं (When to see a doctor)
यदि आपको किडनी की बीमारी के लक्षण हैं तो अपको डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें. इस बीमारी को शुरुआत में ही पहचान लेने से इसके घातक प्रहार से बचा जा सकता है. इलाज से पहले डॉक्टर को आपका बल्ड प्रेशर चेक करेंग. साथ ही आपको किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT), यूरिन और बल्ड टेस्ट करने की सलाह देंगे.
क्रोनिक किडनी डिजीज के कारण (Causes of Kidney Disease)
क्रोनिक किडनी डिजीज तब होता है जब कोई बीमारी या स्थिति किडनी के कार्य में बाधा डालती है, किडनी को खराब कर देती है. ऐसी स्थिति आने में कई महीने या कभी-कभी साल भी लग जाते हैं. इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं, जिसकी जानकारी नीचे देखें-
टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज
हाई ब्लड प्रेशर
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis), गुर्दे की फ़िल्टरिंग इकाइयों में सूजन
इंटरस्टीशियल नेफ्रैटिस (Interstitial nephritis), गुर्दे की नलिकाओं और संरचनाओं की सूजन
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (Polycystic kidney disease) या इनहेरिटेड किडनी बीमारी
बढ़े हुए प्रोस्टेट, गुर्दे की पथरी और कुछ कैंसर जैसी स्थितियों से मूत्र पथ में लंबे समय तक रुकावट
Vesicoureteral reflux-एक ऐसी स्थिति जिसके कारण मूत्र आपके गुर्दे में वापस आ जाता है
किडनी डिजीज के जोखिम कारक (Risk Factors of Kidney Disease)
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय (हृदय) रोग, धूम्रपान, मोटापा, ब्लैक, नेटिव अमेरिकन या एशियन अमेरिकन होना, गुर्दे की बीमारी का पारिवारिक इतिहास, असामान्य गुर्दे की संरचना, बड़ी उम्र, दवाइयों का अधिक सेवन से किडनी की बीमारी हो सकती है.
किडनी डिजीज के जोखिम को कम करें ( Reduce risk of developing kidney disease)
1.एस्पिरिन, इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन आईबी, अन्य) और एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल, अन्य) जैसे दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करते समय, पैकेज पर दिए गए निर्देशों का पालन करें. लंबे समय तक दर्द की दवा लेने से गुर्दे को नुकसान पहुंच सकता है.
2.हेल्दी रहे और अपने वजन को बना कर रखें. अगर आपको वजन कम करने की जरूरत है तो इसपर लग जाएं. डॉक्टर के कहे अनुसार फूड और कसरत कर अपने वजन को मैंटेन रखें.
3.सिगरेट, बीड़ी से दूरी बना कर रखें. सिगरेट पीने से आपकी किडनी खराब हो सकती है, यदि खराबी है तो वह बढ़ भी सकती है. इसलिए डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक इसे छोड़ने की योजना बनाएं.
4.अगर आपकी स्वास्थ्य की ऐसी स्थिति है कि आपके किडनी की बीमारी के जोखिम को बढ़ाती हैं, तो उन्हें नियंत्रित करने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.