Autistic Pride Day: आपको तारे जमीं पर का बच्चा याद है, वह दूसरे बच्चों से अलग था और इसका कारण था उसका ऑटिज्म से पीड़ित होना. ऐसे बच्चों को आम बच्चों की तुलना में सीखने में परेशानी हो सकती है. ऑटिज़्म (Autism) एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है और सामान्य तौर पर बच्चों में तीन साल के पहले नजर आने लगता है. यह विकास से जुड़ी गड़बड़ी है जिससे पीड़ित को बात करने, पढ़ने-लिखने और मिलने जुलने में परेशानियां आती हैं. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों व वयस्कों के साथ बेहतर व्यवहार करने उन्हें बेहतर अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्रत्यूक वर्ष 18 जून को पूरी दुनिया में ऑटिस्टिक प्राइड डे (Autistic Pride Day) मनाया जाता है. समय से पहचान होने पर ऑटिज्म के उपचार और प्रबंधन में काफी मदद मिल सकती है. क्या आप जानते हैं जेनेटिक टेस्ट के जरिए ऑटिज्म का पता लगाया जा सकता है.
ऑटिज्म का कारण (Causes of Autism)
ऑटिज्म के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अधिकतर विशेषज्ञ इसका कारण जेनेटिक और एनवायरमेंट कारकों के मिले जुले असर को मानते हैं. इनमें जन्म से पूर्व वायरल इंफेक्शन और कुछ दवाओं के असर ऑटिज्म का खतरा बढ़ा सकते हैं. प्रेगनेंसी के दौरान रूबेला होना या हेवी मेटल के संपर्क में आने से भी बच्चे में ऑटिज्म का खतरा बढ़ सकता है.
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ऑटिज्म के लिए जेनेटिक टेस्ट ( Genetic Testing for Autism)
कोई एक जीन ऑटिज्म जीन नहीं होता है बल्कि कई जीन इस डिसआर्डर से जुड़े हो सकते हैं. ऑटिज्म का कोई सटीक उपचार नहीं है इसलिए जितनी जल्दी इसका पता लगेगा बच्चे के विकास के लिए उतना ही अच्छा होगा. जेनेटिक टेस्ट में बच्चे के डीएनए और क्रोमोजोम्स की जांच कर पता लगाया जाता है कि उनमें कोई बदलाव या म्यूटेशन तो नहीं है. ये बदलाव या म्यूटेशन ऑटिज्म से संबंधित हैं या नहीं. यह टेस्ट ब्लड सैंपल या स्लाइवा के सैंपल से किया जा सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.