Air Conditioner: गर्मियां आ गई हैं और आपके घर में AC या कूलर चलना शुरू हो गया होगा. वैसे तो ये दोनों ही गर्मी से राहत के लिए बेहतरीन विकल्प हैं, लेकिन दोनों की अपनी खासियत होती है. जहां AC ज्यादा महंगा होता है और आर्द्र जलवायु (Humid climate) में बेहतर कूलिंग करते हैं, वहीं कूलर इसकी तुलना में सस्ता होता है और शुष्क जलवायु में बेहतर काम करता है. आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगी कि स्वास्थ्य के लिहाज से कूलर का इस्तेमाल ज्यादा सही है. इसी विषय पर एनडीटीवी ने बात की डॉ. समीर भाटी से, चलिए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
AC या कूलर कौन सा विकल्प है ज्यादा सही (Which option is better - AC or cooler?)
डॉ. समीर भाटी ने कहा कि AC और कूलर दोनों के अपने फायदे और नुकसान होते हैं. उन्होंने बताया कि AC का टेम्परेचर 22-25 के बीच रखना चाहिए और एक बार रूम का टेम्परेचर मेंटेन होने के बाद आप AC बंद करके फैन चला सकते हैं. क्योंकि AC बॉडी को डिहाइड्रेट करता है. इसलिए उठने के बाद कई बार लोगों को थका हुआ महसूस होता है या रिफ्रेशिंग फील नहीं होता.
कूलर सेहत पर डालता है कैसा असर
इसी तरह अगर कूलर का पानी अगर आप समय-समय पर नहीं बदल रहे हैं तो रेस्पिरेटरी इश्यू (Respiratory Issues) यानी सांस संबंधी समस्या हो सकती हैं. अगर कूलर को सही जगह नहीं रखा है तो वो ह्यूमिडिटी बढ़ा सकता है. लेकिन अगर आप कूलर को विंडो AC की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह आपको नुकसान नहीं करेगा.
AC सेहत पर डालता है कैसा असर
डॉक्टर भाटी ने कहा कि AC आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करता है. अगर AC की सर्विस ठीक से नहीं हुई और वो वही एयर सर्कुलेट कर रहा है, तो कई तरह के रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन होने के खतरा बढ़ जाता है. इसलिए AC की सर्विसिंग समय समय पर कराते रहना जरूरी है. डॉक्टर ने ये भी बताया कि लंबे समय तक AC में रहना आपकी हड्डियों के लिए अच्छा नहीं है और AC से लोगों को ड्राई आई की समस्या भी हो सकती है.
AC हड्डियों को गला सकता है?
वहीं कई लोगों के मन में एसी को लेकर के कई तरह के सवाल होते हैं. जिनमें से एक सवाल है क्या एसी में सोना आपकी हड्डियों को गला सकता है? आइए डॉक्टर समीर भाटी से जानते हैं इस सवाल का जवाब- अगर आप लंबे समय तक एसी में रहते हैं तो यह आपकी बोन और मसल्स हेल्थ के लिए सही नहीं है. इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि आपको बीच-बीच में थोड़ा ब्रेक लेकर एसी के बिना भी बैठना चाहिए. क्योंकि एसी में बैठने से शरीर का वॉटर लॉस तो ही हो रहा है. इसके अलावा भी एसी में ज्यादा बैठने से ड्राई आइज की समस्या भी हो सकती है. वहीं कई बार ऐसा होता है कि आप जब एसी में सोते हैं तो आप डीप स्लीप में नहीं जा पाते हैं और इसकी वजह होती है टेंपरेचर. ये कुछ-कुछ तुरंत दिखने वाले साइड इफेक्ट्स हैं जो एसी में सोने से होते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)