हरियाणा विधानसभा चुनाव : मतदाताओं ने वंशवाद को नकारा, तीनों 'लाल' के रिश्तेदारों को जनता ने दिया झटका

जींद जिले के उचाना कलां में पूर्व उपमुख्यमंत्री और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला पांचवें स्थान पर रहे. वह इसी सीट से विधायक थे.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
चंडीगढ़:

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) के नतीजे वंशवाद के सहारे राजनीति में आगे बढ़ने वाले नेताओं के लिए चौंकाने वाले रहे. चुनाव में कई प्रमुख चेहरों को हार का सामना करना पड़ा, हालांकि कुछ ने जीत का स्वाद भी चखा. पूर्व मुख्यमंत्रियों भजन लाल, बंसी लाल और देवी लाल के कई रिश्तेदार चुनाव मैदान में थे. पांच दशक से अधिक समय में पहली बार भजनलाल परिवार हिसार जिले की आदमपुर सीट हार गया. आदमपुर परिवार का पारंपरिक गढ़ रहा है.

हारने वाले प्रमुख लोगों में इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) के नेता अभय सिंह चौटाला, भाजपा के भव्य बिश्नोई और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के दुष्यंत चौटाला शामिल हैं, जबकि विजेताओं की सूची में भाजपा की श्रुति चौधरी और आरती राव सिंह शामिल हैं.

आदमपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के पोते और इसी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक भव्य बिश्नोई को मैदान में उतारा था, लेकिन वह कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र प्रकाश से 1,268 मतों के मामूली अंतर से हार गए. भव्य ने 2022 के उपचुनाव में यह सीट जीती थी. पहले इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता कुलदीप बिश्नोई और दादा भजन लाल करते थे. भव्य के चाचा और कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र मोहन ने हालांकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा के विधायक रहे ज्ञान चंद गुप्ता के खिलाफ पंचकूला निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की.

हरियाणा के तीनों 'लाल' के रिश्तेदार थे मैदान में
हरियाणा के तीन प्रसिद्ध ‘लाल' के रिश्तेदार चुनावी मैदान में थे, जिनमें से कुछ एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे, वहीं अन्य प्रमुख राजनीतिक परिवारों से भी कुछ ऐसे लोग थे जिनके मैदान में उतरने से चुनावी जंग दिलचस्प हो गयी. जब 1966 में हरियाणा को एक अलग राज्य बनाया गया, तब से इसकी राजनीति लगभग तीन दशकों तक तीन ‘लाल' - देवी लाल, जिन्हें ‘ताऊ' देवी लाल के नाम से जाना जाता है, भजन लाल और बंसी लाल - के इर्द-गिर्द घूमती रही है. इन सभी ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है. देवी लाल देश के उपप्रधानमंत्री भी रहे.

Advertisement
हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए शनिवार को मतदान हुआ था, और नतीजे मंगलवार को घोषित किए गए. सत्तारूढ़ भाजपा ने 90 सदस्यीय सदन में 89 सीटों पर चुनाव लड़ा और 48 सीटें जीतकर हरियाणा में सत्ता बरकरार रखी, जबकि कांग्रेस ने 89 सीटों पर चुनाव लड़कर 37 सीटें जीतीं है. इंडियन नेशनल लोकदल ने दो सीटों पर जीत हासिल की जबकि तीन निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं.

भाजपा ने सिरसा सीट पर चुनाव नहीं लड़ा, जबकि कांग्रेस ने भिवानी सीट माकपा के लिए छोड़ दी. भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट पर बंसीलाल के पोते व पोती के बीच मुकाबला देखने को मिला. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को उनकी चचेरी बहन और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी ने हराया. श्रुति चौधरी भाजपा की उम्मीदवार थीं.

Advertisement
श्रुति चौधरी भाजपा नेता किरण चौधरी और बंसी लाल के बेटे सुरेंदर सिंह की बेटी हैं, जबकि अनिरुद्ध चौधरी रणबीर सिंह महेंद्र के बेटे हैं. बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र और सुरेंदर सिंह भाई थे.

तोशाम विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किरण चौधरी करती थीं, लेकिन पिछले महीने उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद भाजपा ने उन्हें हरियाणा से राज्यसभा उपचुनाव के लिए नामित किया, जिसमें उन्होंने निर्विरोध जीत हासिल की.

Advertisement

ऐलनाबाद सीट से चुनाव हार गए अभय चौटाला
देवीलाल के पोते और मौजूदा इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला, जिनकी पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, सिरसा जिले की ऐलनाबाद सीट से हार गए, जबकि डबवाली से देवीलाल के पोते आदित्य देवीलाल, जो इनेलो उम्मीदवार थे, ने जीत हासिल की. पूर्व उपप्रधानमंत्री के प्रपौत्र और जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला भी डबवाली से चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन वे बुरी तरह हार गए. आदित्य देवीलाल, जो देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश के पुत्र हैं, हाल ही में भाजपा छोड़कर इनेलो में शामिल हुए हैं और उन्हें डबवाली से मैदान में उतारा गया था.

Advertisement
दिग्विजय सिंह चौटाला जजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के भाई हैं. दुष्यंत और दिग्विजय के पिता तथा पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला की अध्यक्षता वाली जजपा ने चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन गठबंधन को कोई सफलता नहीं मिली.

सिरसा की रानिया सीट से पूर्व मंत्री और देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला हार गए, जिन्होंने टिकट न मिलने पर हाल ही में भाजपा छोड़ दी थी और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे. इनेलो उम्मीदवार और देवीलाल के प्रपौत्र अर्जुन चौटाला रानिया से जीते. अर्जुन इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के बेटे हैं. अर्जुन ने अपने निकटतम कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी सर्व मित्तर को हराया.

पांचवें नंबर पर रहे दुष्यंत चौटाला
जींद जिले के उचाना कलां में पूर्व उपमुख्यमंत्री और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला पांचवें स्थान पर रहे. वह इसी सीट से विधायक थे. भाजपा के देवेंद्र अत्री ने निकटतम कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी बृजेंद्र सिंह को 32 मतों के मामूली अंतर से हराया. इस वर्ष की शुरुआत में नौकरशाह से राजनेता बने बृजेन्द्र और उनके पिता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री बीरेन्द्र सिंह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये थे.

एक अन्य प्रमुख राजनीतिक परिवार की रिश्तेदार आरती राव हैं जो महेंद्रगढ़ के अटेली से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरी थीं. आरती के पिता राव इंद्रजीत सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं.आरती ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के अत्तर लाल को 3,085 मतों के अंतर से हराया. अहीर नेता राव तुला राम के वंशज, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के पुत्र राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम से सांसद और केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला कैथल से पार्टी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे. उन्होंने भाजपा के विधायक रहे लीला राम को हराकर सीट पर जीत हासिल की. आदित्य कांग्रेस के शमशेर सिंह सुरजेवाला के पोते हैं, जिन्होंने कैथल का विधानसभा में कई बार प्रतिनिधित्व किया है. रणदीप भी कैथल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं.

Featured Video Of The Day
Attack on sukhbir Singh Badal: सुखबीर सिंह बादल की हत्या की कोशिश, गुस्साए लोगों ने क्या कहा?