प्रतिभा किसी सहारे की मोहताज नहीं होती. दुर्लभ और जानलेवा बीमारी से पीड़ित जयपुर के दिव्यांग युवक ने यही साबित कर दिखाया. उसने शतरंज (Chess Format) के क्षेत्र में 7 आविष्कार और तीन पेटेंट अपने नाम किए और इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड (International Book Of Records)और इंडिया रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया है.
‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति' पुरस्कार से सम्मानित 18 साल के हृदयेश्वर सिंह भाटी (Hridayeshwar Singh Bhati) को पिछले वर्ष सरकार ने उत्कृष्ट रचनात्मक बाल श्रेणी के तहत राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था. इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड और इंडिया बुक आफ रिकार्ड ने हृदयेश्वर की उपलब्धियों को जगह दी गई है.
व्हील चेयर से चलने वाले भाटी ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग (British physicist Stephen Hawking) से प्रेरित रहे हैं. उन्हें दो से अधिक लोगों के लिए शतरंज का वर्जन तैयार करने का ख्याल आया. हृदयेश्वर का कहना है कि जब वह अपने दोस्तों के साथ शतरंज खेल रहे थे, तभी उनके पिता भी साथ खेलना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने शतरंज का ऐसा फार्मेट तैयार करने की ठानी. जिससे कई लोग एक साथ चेस खेल सकें. हृदयेश्वर ने 2013 में छह खिलाड़ियों के एक साथ खेल सकने वाले शतरंज के फार्मेट का आविष्कार किया और इसका पेटेंट हासिल किया.
बाद में उन्होंने 12 और 60 खिलाड़ियो के शतरंज (Chess) का फार्मेट (प्रारूप) भी विकसित कर उनके लिए पेटेंट प्राप्त किया. भाटी ने दो वाहनों और 16 बाई 16 सुडोकू (Sudoku) में पावर वहिकल की पहुंच के लिये रैंप संशोधन में भी योगदान दिया है. भाटी ऐसे ही अन्य आविष्कारों के विकास में जुटे हैं, ताकि अक्षम लोग भी सभी तरह की सुविधाओं का आनंद उठा पाएं.