Sunil Chhetri Announced Retirement: भारतीय फुटबॉल आइकन सुनील छेत्री ने गुरुवार को 6 जून को कोलकाता में कुवैत के खिलाफ फीफा विश्व कप क्वालीफाइंग मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने के अपने फैसले की घोषणा की, जिससे उनके दो दशक के शानदार करियर का अंत हो गया. लंबे समय से सेवारत राष्ट्रीय टीम के कप्तान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक वीडियो के माध्यम से अपने फैसले की घोषणा की. भारत वर्तमान में ग्रुप ए में चार अंकों के साथ शीर्ष पर चल रहे कतर के बाद दूसरे स्थान पर है.
39 वर्षीय छेत्री ने संन्यास लेने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए कहा, "कुवैत के खिलाफ मैच आखिरी है."
छेत्री ने मार्च में भारत के लिए अपना 150वां प्रदर्शन किया था और इस अवसर पर गुवाहाटी में अफगानिस्तान के खिलाफ गोल किया था. हालाँकि, भारत वह गेम 1-2 से हार गया.
2005 में डेब्यू करने वाले छेत्री ने देश के लिए 94 गोल किए हैं. वह भारत के सर्वकालिक शीर्ष स्कोरर और सर्वाधिक कैप्ड खिलाड़ी के रूप में संन्यास लेंगे. वह सक्रिय खिलाड़ियों में गोल स्कोरर की सूची में क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी के बाद तीसरे स्थान पर हैं.
उन्होंने कहा ,‘‘ उस दिन को मैं कभी नहीं भूल सकता . मुझे याद है जब मैं देश के लिये पहली बार खेला था . यह अविश्वसनीय था. एक दिन पहले सुबह भारतीय टीम के मेरे पहले कोच सुक्खी सर ( सुखविंदर सिंह) मेरे पास आये और बोले कि तुम खेल रहे हो . मैं पता नहीं सकता कि कैसा महसूस हुआ था.'' उन्होंने कहा ,‘‘ मैने अपनी जर्सी ली, उस पर परफ्यूम छिड़का . पता नहीं क्यो . उस दिन जो कुछ भी हुआ , उनका मुझे यह बताना, नाश्ते से लंच तक, मेरा पहला गोल और 80वें मिनट में गोल गंवाना .वह दिन मैं कभी नहीं भूल सकता और राष्ट्रीय टीम के साथ मेरे सफर के सर्वश्रेष्ठ दिनों में से वह एक था .''
भारतीय फुटबॉल के भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि अब देश को नौ नंबर की जर्सी के लिये अगला खिलाड़ी चुनना होगा . उनका मानना है कि टीम में फिलहाल ऐसे स्ट्राइकर की कमी है जो अपने क्लब के लिये मुख्य स्ट्राइकर के तौर पर खेलता हो. छेत्री ने कहा कि हाल ही में उन्हें अहसास हुआ कि अब सफर खत्म करने का समय आ गया है. उन्होंने कहा ,‘‘ पिछले 19 साल में मैने कर्तव्य, दबाव और आनंद की अनुभूति की है . मैने कभी व्यक्तिगत रूप से नहीं सोचा . पिछले डेढ दो महीने से मुझे ख्याल आ रहा था कि अब समय आ गया है . जैसे ही यह ख्याल आया, अतीत की सारी यादें मेरे दिमाग में चलने लगी.''
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने खुद से कहा कि यह मेरा आखिरी मैच होने वाला है . बहुत अजीब लग रहा था . हर मैच, हर कोच, हर टीम, हर मैदान, हर साथी खिलाड़ी, अच्छे बुरे प्रदर्शन, मेरे सारे व्यक्तिगत प्रदर्शन, सब कुछ दिमाग में चलने लगा.'' छेत्री ने कहा ,‘‘ मैने अपने माता पिता और पत्नी को बताया . मेरे पिता सामान्य थे, राहत महसूस कर रहे थे , खुश थे . लेकिन मेरी मां और पत्नी रोने लगे.'' उन्होंने कहा ,‘‘ वे मुझे बता नहीं सके कि रो क्यो रहे हैं . मैं थका हुआ या कुछ और महसूस नहीं कर रहा था. बस मुझे भीतर से आवाज आई कि यह मेरा आखिरी मैच होना चाहिये और मैने इसके बारे में बहुत सोचा .''
छेत्री भारत की नेहरू कप ( 2007, 2009, 2012), दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (सैफ ) चैम्पियनशिप ( 2011, 2015, 2021 ) में खिताबी जीत के सूत्रधार रहे . वह 2008 एएफसी चैलेंज कप जीत में भी सूत्रधार रहे जिसकी मदद से भारत को 27 साल में पहली बार एएफसी एशियाई कप ( 2011) खेलने का मौका मिला.
मोहन बागान के लिये 2002 में क्लब फुटबॉल में पदार्पण करने वाले छेत्री ने अमेरिका में मेजर लीग फुटबॉल टीम कंसास सिटी विजाडर्स के लिये 2010 में खेला और 2012 में पुर्तगाली फुटबॉल टीम में स्पोर्टिंग सीपी की रिजर्व टीम में रहे. सात बार एआईएफएफ के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे छेत्री ने ईस्ट बंगाल, डेम्पो, इंडियन सुपर लीग टीम मुंबई सिटी एफसी और बेंगलुरू एफसी के लिये खेला . बेंगलुरू एफसी के साथ उन्होंने आई लीग, आईएसएल, सुपर कप खिताब जीते.