Hariyali Amavasya 2019: आज है सावन की हरियाली अमावस्या, जानें पितृ तर्पण, पूजा विधि और आहार से जुड़ी मान्यताओं के बारे में

Hariyali Amavasya 2019: आज श्रावण मास की अमावस्या है. इसे श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या कहा जाता है. आज यानी 1 अगस्त को पड़ रही हरियाली अमावस्या 1 अगस्त यानी गुरुवार को है.

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Shravan Amavas 2019 (श्रावण अमावस 2019)
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आज यानी 1 अगस्त को पड़ रही हरियाली अमावस्या 1 अगस्त यानी गुरुवार को है.
ओडिशा में इसे चितलगी अमावस्या के नाम से जाना जाता है.
मानसून ही वह समय है जब भारत में ढेरों पर्व मनाए जाते हैं.
नई दिल्ली:

Hariyali Amavasya 2019: आज श्रावण मास की अमावस्या है. इसे श्रावण अमावस (Shravan Amavas) या हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) कहा जाता है. आज यानी 1 अगस्त को पड़ रही हरियाली अमावस्या 1 अगस्त यानी गुरुवार को है. हिन्दू मान्यता के अनुसार यह सावन में आने वाली अमावस्या के दिन दान करना बहुत फलदायक होता है. इससे भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं. देशभर में हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya 2019) को बड़े ही भक्ति भाव से मनाया जाता है. अलग-अलग हिस्सों में श्रावण मास की अमावस्या को अलग अलग नामों से जाना जाता है. ओडिशा में इसे चितलगी अमावस्या (Chitalagi Amavasya) के नाम से जाना जाता है. तो वहीं, महाराष्‍ट्र में गटारी अमावस्‍या (Gatari Amavasya), तो तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में चुक्कला अमावस्‍या (Chukkala Amavasya) के नाम से जाना जाता है. मानसून ही वह समय है जब भारत में ढेरों पर्व मनाए जाते हैं. इस ऋतु में तीज, रक्षा बंधन और जन्माष्टमी जैसे त्योहार मनाए जाते हैं. हरियाली तीज (Hariyali Teej 2019) हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है, जो ज्यादातर राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है. माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव (Lord Shiva) को बहुत प्रिय है. इस माह में शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं. यही वजह है कि श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या भी शिव भक्तों के लिए बहुत महत्व रखती है.  श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या 2019 के बाद नाग पंचमी (Nag Panchami 2019), रक्षाबंधन, कजरी तीज, जन्माष्टमी, हरतालिका तीज 2019, दशहरा, नवरात्रि, करवा चौथ (Karwa Chouth 2019), दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज के बाद छठ पूजा के पर्व मनाए जाएंगे. 

क्यों खास होती है हरियाली अमावस्या

सावन का महीना अपने आप में खास होता है. श्रावण मास हरियाली का प्रतीक है. इस महीने में बरसात होती है और धरती पर हरियाली भी बढ़ जाती है. इसलिए इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं. मान्यता के अनुसार मां पार्वती की उपस्थिति ही धरती पर हरियाली का कारण है. यही वजह है कि हरियाली अमावस्या के दिन मां पार्वती का पूजन किया जाता है. कहते हैं इस दिन मां पार्वती को पूजने से हर मनोकामना पूरी होती है.

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हरियाली अमावस्या की पूजा विधि 

हरियाली अमावस्या मां पार्वती को समर्पित है. जहां शिव, वहां पार्वती. तो इस दिन शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. हरियाली अमावस्या के दिन किसान अपने औजारों जैसे हंसिया, कुल्हाड़ी, हल वगैरह की पूजा करते हैं. इस दिन बैलों की जोड़ी को सजा कर उनका सत्कार किया जाता है. यह दिन अपने वास्तविक रूप में प्रकृति मां को आभार जताने के लिए मनाया जाता है. श्रावण अमावस्या के दिन शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस दिन शिव-गौरा के पूजन से हर मनोकामना पूरी होती है और घर में सुख-समृद्धि और शांति बढ़ती है. 

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Hariyali Amavasya 2019: आज श्रावण मास की अमावस्या है.  

श्रावण अमावस्या पर पितृ तर्पण 

श्रावण अमावस्या पर पितृ तर्पण भी किया जाता है. माना जाता है कि इस दिन पितृ तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. इसके साथ ही साथ लोग अपने पितृ देवों को याद कर उनके नाम पर पौधे भी लगाते हैं.

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श्रावण अमावस्या पर व्रत रख रहे हैं तो रखें इन बातों का ध्यान 

कई लोग श्रावण अमावस्या के दिन उपवास यानी व्रत रखते हैं. इसके लिए सुबह नहाधोकर पूजा पाठ किया जाता है. इस दिन दान दक्षिणा करने को भी अच्छा माना जाता है. तो अगर आप इस दिन उपवास कर रहे हैं तो अपने खाने से जुड़ी इन बातों का ध्यान जरूर रखें.

- जो लोग हृदय रोग, डायबिटीज़ और उच्च रक्तचाप जैसी समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें और गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपनी खास देखभाल करनी चाहिए. व्रत रखना अच्‍छी बात है लेकिन अपनी सेहत को दरकिनार करना सही नहीं है. ऐसे मरीजों में दिन में केवल एक बार भोजन करना समस्याएं पैदा कर सकता है. ऐसे में व्रत के दौरान भी से फिट रहा जाए, आइए जानते हैं.

- अगर पोषण की उचित गुणवत्ता शरीर को मिलती रहे, तो व्रत रखने से शरीर पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जिन मरीजों को दिल की समस्या है, उन्हें आलू के पकौड़े और आलू के प्रोसैस्ड चिप्स जैसी तली हुई चीजें नहीं खानी चाहिए. मधुमेह के मरीजों को उसी वक्त अपना व्रत खोल देना चाहिए जब उनकी शुगर का स्तर 60 एमजी से नीचे चला जाए. उन्हें दिन में काफी मात्रा में तरल आहार भी लेते रहना चाहिए, क्योंकि शरीर में डिहाइड्रेशन होने से लकवा या दिल का दौरा पड़ सकता है”.

- डॉक्टरों का कहना है कि टाइप-2 डायबिटीज़ से पीड़ित मरीजों में व्रत रखने से खतरा कम होता है, लेकिन टाइप-1 डायबिटीज़ के मरीजों को व्रत बिल्कुल नहीं रखना चाहिए. लंबी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को व्रत रखते समय डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए, क्योंकि नियमित तौर पर चल रही दवाओं की खुराक व्रत की वजह से 40 से 50 प्रतिशत तक कम करने की ज़रूरत हो सकती है.

- सादा दही की बजाए लौकी का रायता खाएं. बीच में स्नैक्स के तौर पर बादाम खाते रहे. कुट्टू के आटे की रोटी कद्दू की सब्जी के साथ खाएं. थोड़ी-थोड़ी देर बाद उचित मात्रा में फल खाते रहें, ताकि शरीर को भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मिलते रहे. सिंघाड़े और कुट्टू का आटा मिलाकर खाने में शामिल करें. सिंघाड़ा अनाज नहीं बल्कि फल है, इसलिए इसे अनाज की जगह प्रयोग किया जा सकता है. सिंघाड़े के आटे में ग्लूटन नहीं होता, इसलिए सीलियक बीमारी से पीड़ित या ग्लूटन से एलर्जी वाले मरीज इसका प्रयोग कर सकते हैं.

हरियाली अमावस्या की हार्दिक शुभकामनाएं!

Happy Hariyali Amavasya 2019!

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