क्या आप जानते हैं कोलकाता के इस मंदिर के बारे में जहां प्रसाद में मिलती है नूडल्स

हम सभी जानते हैं कि हर पूजा अनुष्ठान में 'प्रसाद' की अहम भूमिका होती है.

क्या आप जानते हैं कोलकाता के इस मंदिर के बारे में जहां प्रसाद में मिलती है नूडल्स

खास बातें

  • प्रसाद का प्रकार हर जगह अलग-अलग होता है.
  • बंगाल में, प्रसाद में फल, मुरमुरे, मिष्टी दोई जैसी चीजे शामिल होती हैं.
  • बंगाल में, प्रसाद में फल, मुरमुरे, मिष्टी दोई जैसी चीजें शामिल होती हैं.

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर पूजा अनुष्ठान में 'प्रसाद' की अहम भूमिका होती है. यह भगवान को दिया जाने वाला एक प्रसाद (भोग) है और फिर पूजा करने के बाद भक्तों द्वारा खाया जाता है. अगर आप एक्सपोलर करें, तो आप पाएंगे कि प्रसाद का प्रकार हर जगह अलग-अलग होता है. यह देखना और भी आकर्षक है कि किसी क्षेत्र की खाद्य संस्कृति किसी मंदिर (या क्षेत्र) के प्रसाद मेनू को कैसे प्रभावित करती है. उदाहरण के लिए, उत्तर भारत में प्रसाद की थाली में हलवा और लड्डू का एक स्थिर जगह होती है. जबकि, बंगाल में, प्रसाद में फल, मुरमुरे, मिष्टी दोई जैसी चीजें शामिल होती हैं. लेकिन क्या आपने कभी किसी मंदिर में प्रसाद के रूप में नूडल्स परोसे जाने के बारे में सुना है? हां, आपने उसे सही पढ़ा है! हम हाल ही में बंगाल में एक मंदिर में गए जहा प्रसाद के रूप में देसी चाइनीज व्यंजनों को वितरित करता है. आइए जानते हैं भारत के इस अनोखे मंदिर के बारे में.

अगर आपने कोलकाता में एक्सप्लोर या अध्ययन किया है, तो आप निश्चित रूप से टांगरा (लोकप्रिय रूप से चाइना टाउन के रूप में जाना जाता है) नामक इस जगह पर गए होंगे - जो हमेशा लोकप्रिय इंडो-चाइनीज व्यंजनों (या जैसा कि हम इसे देसी चीनी कहते हैं) की जड़ें हैं. 1930 के दशक में चीन में गृहयुद्ध के दौरान, लोगों के बड़े समूह को देश से निकाल दिया गया था, जिन्होंने टांगरा, कोलकाता (तब कलकत्ता) में शरण ली थी और चमड़ा बनाने के कारखानों में काम किया था. हालांकि, वर्षों से, उनका पेशा खाद्य उद्योग में बदल गया, जिसे हम इंडो-चाइनीज व्यंजन कहते है.

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कोलकाता के चाइना टाउन की गलियों में टहलते हुए, आप एक कालीबाड़ी (देवी काली का मंदिर) देखेंगे, जिसके बाहर पट्टिका पर 'चाइनीज काली मंदिर' लिखा हुआ है. क्षेत्र के स्थानीय लोग हर रोज दो बार काली मंदिर में पूजा करते हैं. जबकि इस कालीबाड़ी में सब कुछ बंगाल के अन्य काली मंदिरों के समान दिखता है, लेकिन यहां का प्रसाद मंदिर को बहुत अलग बनाता है.

सर्वोत्कृष्ट भोग (जिसमें फल, मिठाइयां, खिचड़ी जैसी चीजें शामिल होती हैं) की जगह, यहां भक्तों को पूजा के बाद (विशेषकर दिवाली के दौरान) प्रसाद के रूप में नूडल्स, चॉप सुए और फ्राइड राइस दिए जाते हैं.

वेबसाइट www.tourmyindia.com के अनुसार, यह काली मंदिर "60 साल से ज्यादा पुराना" है और हिंदू और चाइनीज एकता के "महान उदाहरण" के रूप में कार्य करता है.

हमें वर्ल्ड ऑफ कोलकाता नाम का एक फेसबुक पेज भी मिला, जो कोलकाता में चाइनीज काली मंदिर को "मस्ट विजिट" जगह बताता है. पोस्ट पर एक नज़र डालें:

चीनी काली मंदिर कैसे जाएं:

यह मंदिर मथेश्वरतला रोड, टांगरा में स्थित है. यह जगह सभी सात दिनों (सोमवार से रविवार तक) सुबह से शाम तक खुला रहती है. हालाकि, चल रही महामारी के दौरान, उस जाने पर जाने से पहले राज्य की विश्राम यात्रा की जांच करें.

हमारा सुझाव है, कोलकाता की अपनी अगली यात्रा पर इस यूनिक कालीबाड़ी की यात्रा करें और चाइना टाउन में सुपर स्वादिष्ट रेस्टोंरेट भी देखें.

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