Yashoda Jayanti: मान्यता है कि गृह क्लेश से मुक्ति और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है यह व्रत, पढ़ें कथा

यशोदा जंयती का पर्व भगवान श्री कृष्ण की माता यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मां यशोदा के गोद में बैठे हुए श्रीकृष्ण की प्रतिमा की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान के मंगल-कुशल के लिए व्रत करती हैं.

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Yashoda Jayanti: जानें माताओं के लिए क्यों खास माना गया है यशोदा जयंती व्रत, जानिए कथा
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सनातन धर्म में यशोदा जयंती को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.
यशोदा जंयती श्री कृष्ण की मां यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाते है.
यशोदा जंयती के दिन मां यशोदा की पूजा-अर्चना की जाती है.
नई दिल्ली:

फाल्गुन माह में इस बार यशोदा जयंती 22 फरवरी को कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाई जाएगी. यशोदा जंयती का पर्व भगवान श्री कृष्ण की माता यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मां यशोदा की पूजा-अर्चना की जाती है. सनातन धर्म में यशोदा जयंती को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन मां यशोदा के गोद में बैठे हुए श्रीकृष्ण की प्रतिमा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं.

Yashoda Jayanti 2022: क्यों मनाई जाती है यशोदा जयंती, जानिए इस व्रत का महत्व और पूजा विधि

माना जाता है कि मां यशोदा के नाम श्रवण से ही मन में ममता की प्रतिमूर्ति प्रकाशित हो जाती है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान के मंगल-कुशल के लिए व्रत करती हैं. यशोदा जयंती का पर्व गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन पूजन के समय इस कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है. आइए पढ़ते हैं यशोदा जयंती की व्रत कथा.


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यशोदा जयंती कथा | Yashoda Jayanti Katha

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब माता यशोदा ने भगवान श्री हरि विष्णु के लिए घोर तपस्या की. माता यशोदा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान श्री हरि ने उन्हें मनचाहा वरदान मांगने को कहा, विष्णु जी के पूछने पर माता यशोदा ने कहा, हे ईश्वर! मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे, मेरे पुत्र रूप में प्राप्त होंगे.

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श्री हरि ने मुस्कुराते हुए माता यशोदा से कहा, आने वाले काल में मैं वासुदेव और देवकी के घर में मैं जन्म लूंगा, लेकिन मुझे मातृत्व का सुख आपसे ही प्राप्त होगा. कुछ समय बीत जाने के बाद ऐसा ही हुआ और श्रीकृष्ण देवकी व वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में प्रकट हुए. कहते हैं कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण और माता यशोदा की विधिवत पूजा-अर्चना और व्रत करने से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ती होती है, इसके साथ ही गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है.

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यशोदा जयंती व्रत का महत्व |  Significance Of Yashoda Jayanti Vrat

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और उन्नति की कामना के लिए पूजा-पाठ व व्रत करती हैं. इस दिन माता यशोदा की गोद में विराजमान श्रीकृष्ण के बाल रूप और मां यशोदा की पूजा की जाती है. माता यशोदा की वात्सल्य मिसालें आज भी दी जाती है.

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यशोदा जयंती के दिन अगर श्रद्धा-भाव से भगवान श्री कृष्ण और माता यशोदा जी की आराधना की जाए तो भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप के दर्शन होते हैं. शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन माता यशोदा और श्री कृष्ण की पूजा-आराधना करने से संतान संबंधी सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं. कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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