मॉनसून का आगमन हो चुका है और कुछ ही दिन में सावन का महीना शुरू होने को है. इस साल श्रावण मास की प्रथम तिथि यानि प्रतिपदा 25 जुलाई को पड़ रही है या यूं कहें कि श्रावण मास की शुरुआत 25 जुलाई से हो रही है. श्रावण और शिव का बड़ा गहरा संबंध है. श्रावण मास का नाम सुनते हमारी आंखों के सामने बरसते पानी में भगवान शिव की भक्ति और कांवड यात्रियों की तस्वीरें आ जाती है. लेकिन क्या कभी सोचा है कि भगवान भोलेनाथ को सभी महीनों में से ये श्रावण का महीना ही सबसे अधिक प्रिय क्यों है...? क्यों भोले के भक्त इस महीने ही अपने आराध्य देव पर सबसे ज्यादा भक्ति और प्रेम लुटाने के लिए तत्पर रहते हैं...? भोलेनाथ के श्रावण मास से प्रेम की कई कथाएं प्रचलित हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
पार्वती ने शिव को पाने के लिए श्रावण माह में किया था कठोर व्रत
पहली कथा माता सती व पार्वती से संबंधित है. अपने पिता दक्ष के घर माता सती ने योग की शक्ति से अपना शरीर त्याग दिया था. इसके बाद उन्होंने पृथ्वीलोक पर हिमालय में पार्वती के रूप में जन्म लिया. पति के रूप में भोलेनाथ को पाने के लिए पार्वती जी ने बेहद कठिन व्रत रखा था. इस दौरान एक पत्ती तक भी ग्रहण करने वाली पार्वती को अपर्णा नाम से भी जाना गया. इस कठोर तपस्या के बाद उन्हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए. ये व्रत माता पार्वती ने श्रावण माह में ही किया था. इसीलिए सावन का महीना उन्हें विशेष रूप से प्रिय है. ये माना जाता है कि सावन के महीने में भोलेनाथ की पूजा करने से वो जल्द प्रसन्न होते हैं.
शिवशंकर को शीतलता प्रदान करता है श्रावण का महीना
कहा जाता है कि भोलेनाथ को सावन का महीना इसलिए भी प्रिय है क्योंकि, सावन के महीने में सबसे ज्यादा बारिश होने के आसार रहते हैं जो भोलेनाथ के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करता है. भगवान शिव ने खुद सनतकुमारों को श्रावण मास की महिमा बताई थी. कर्क राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ ही सावन का महीना प्रारंभ हो जाता है. सूर्य गरम है और चंद्र ठंडक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से मौसम ठंडा हो जाता है और तेज बारिश होने लगती है. भोले बाबा को सावन के महीने में ठंडक मिलती है और इसीलिए भगवान शंकर को सावन का महीना इतना प्रिय है.
शिवशंभू इस महीने जाते हैं ससुराल
एक मान्यता ये भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में ही पृथ्वी पर अवतरित होकर ससुराल गए थे, जहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था. मान्यता ये है कि हर साल सावन के महीने में ही भगवान शिव ससुराल आते हैं. भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए भू लोक वासियों का ये उत्तम समय होता है. सावन के महीने में सोमवार व्रत रखने से भोले बाबा से मांगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.