Bell In Temple: मंदिर में या पूजा के दौरान घंटी क्यों बजाई जाती है, जानिए वैज्ञानिक कारण और धार्मिक महत्व

Bell In Temple: भक्त जब मंदिर में प्रवेश करते हैं तो घंटी जरूर बजाते हैं. मंदिर में घंटी बजाने की परंपरा काफी प्राचीन है. इसके अलावा पूजा-पाठ में भी घंटी बजाई जाती है.

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Bell In Temple: घंटी बजाने का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण भी हैं.

Bell In Temple: अमूमन सभी मंदिरों में घंटी टंगी होती है. भक्त जब मंदिर (Temple) में प्रवेश करते हैं तो घंटी (Bell) जरूर बजाते हैं. मंदिर में घंटी बजाने की परंपरा काफी प्राचीन है. इसके अलावा पूजा-पाठ में भी घंटी (Bell In Pooja) बजाई जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि घंटी क्यों बजाई जाती है. साथ ही इसके पीछा का वैज्ञानिक पहलू और धार्मिक मान्यताएं क्या हैं. अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं कि मंदिर में या पूजा का दौरान घंटी क्यों बजाई जाती है. 

मंदिर में प्रवेश करने से पहले भी बजाते हैं घंटी


आमतौर पर किसी भी मंदिर के प्रवेश द्वार पर घंटी टंगी होती है. श्रद्दालु मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी जरूर बजाते हैं. इसके बाद ही भगवान के दर्शन के लिए अंदर जाते हैं. इसी तरह घर या मंदिर में पूजा करते वक्त घंटी बजाई जाती है. घंटी बजाने के पीछे वैज्ञानिक कारण और धार्मिक मान्यताएं भी हैं. 

घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण

घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण भी है. दरअसल जब घंटी बजाई जाती है तो उसके आवाज से तेज कंपन उत्पन्न होता है. जो कि हमारे आस-पास काफी दूर तक जाते हैं. घंटे की कंपन के प्रभाव से वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं. जिस कारण हमारे आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है. यही कारण है कि मंदिर और उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध रहता है. 

घंटी बजाने की धार्मिक मान्यता

-धार्मिक मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले भगवान की अनुमति लेनी होती है. 

-मान्यता यह भी है कि जब मंदिर में भगवान शयन में होते हैं तो पहले घंटी बजाकर उनकी अनुमित लेनी चाहिए और फिर पूजा करनी चाहिए. 

-कहा जाता है कि देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए भी घंटी बजानी चाहिए. मान्यता है कि घंटी की आवाज से देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं. 

-माना जाता है कि घंटी की आवाज से मन शांत और प्रसन्न रहता है. इसलिए पूजा के दौरान घंटी बजाई जाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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