Vivah Panchami 2025: राम-सिया का आशीर्वाद पाने के लिए जानें विवाह पंचमी पर क्या करें और क्या न करें

Vivah Panchami 2025: सनातन परंपरा में मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को अत्यंत ही शुभ माना गया है क्योंकि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ओर माता सीता का शुभ विवाह हुआ था. विवाह पंचमी का पुण्यफल पाने के लिए आज किन कार्यों को करना और किन कार्यों को नहीं करना चाहिए, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

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Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व और नियम
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Vivah Panchami 2025: मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के अवसर पर आज देश भर में बड़ी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ “विवाह पंचमी” का पावन पर्व मनाया जा रहा है. इस तिथि का संबंध भगवान श्रीराम एवं माता सीता के दिव्य विवाह से जुड़ा हुआ है. सनातन परंपरा में विवाह पंचमी सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि मर्यादा, संयम और आदर्श दाम्पत्य जीवन का प्रतीक है. आइए पटना के जाने-माने ज्योतिषी और धर्म-कर्म के मर्मज्ञ ड. राजनाथ झा से विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व और इससे जुड़े नियम आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

विवाह पंचमी का पौराणिक एवं धार्मिक महत्व 

सनातन परंपरा से जुड़े पौराणिक ग्रंथों जैसे स्कंद, गरुण और पद्म पुराण तथा वाल्मीकि रामायण एवं रामचरित मानस में विवाह पंचमी की महिमा का विशेष वर्णन किया गया है. आइए उन प्रसंगों को क्रमानुसार जानते हैं - 

बाल्मीकि रामायण 

1. वाल्मीकि रामायण (बालकाण्ड, सर्ग 73, श्लोक 1)

“अथ जनकः प्रीत्या ब्राह्मणान् अभ्यपूजयत्.
प्रददौ च ततः सीतां रामाय परमात्मने॥”

अर्थ: तब जनक ने प्रसन्न होकर ब्राह्मणों का पूजन किया और अपनी पुत्री सीता का पाणिग्रहण श्रीराम को सौंप दिया.

2. वाल्मीकि रामायण (बालकाण्ड, सर्ग 77, श्लोक 26) 

“सर्वे जनाः सुहृष्टास्ते तं विवाहं महोत्सवम्.
दृष्ट्वा परमसंतुष्टा रामं दृष्ट्वा जनकात्मजाम्॥”

अर्थ: सभी जन उस महोत्सव को देखकर अत्यन्त प्रसन्न हुए, जब श्रीराम और जनकनन्दिनी सीता का विवाह सम्पन्न हुआ.

3. रामचरितमानस (बालकाण्ड, दोहा 329)

“मंगल भवन अमंगल हारी.
द्रवहु सु दसरथ अजिर बिहारी॥”

अर्थ: हे मंगल भवन (सीता) और अमंगल को हर लेने वाले (राम), अब दशरथ भवन में पधारिए और सबका कल्याण कीजिए.

4. पद्मपुराण (उत्तरखण्ड, अध्याय 112, श्लोक 12-13)

“मार्गशीर्षे शुक्लपक्षे पंचम्यां यः समाचरेत्.
रामसीताकल्याणं तस्य जन्म सुफलभवेत्॥”

अर्थ: जो मनुष्य मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के दिन श्रीराम–सीता विवाह का उत्सव मनाता है, उसका जन्म सफल हो जाता है.

5. स्कन्दपुराण (वैष्णवखण्ड, अध्याय 25, श्लोक 34)

“पंचमी मार्गशीर्षस्य यः पूजयति राघवम्.
स याति विष्णुलोकं च न तस्य पुनरागमः॥”

अर्थ: जो मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को श्रीराम का पूजन करता है, वह विष्णुलोक को प्राप्त होकर पुनर्जन्म से मुक्त होता है.

6. गरुड़पुराण (पूर्वखण्ड, अध्याय 23, श्लोक 9)

“सीतारामप्रणामेन दाम्पत्यं सुखमावहेत्.
गृहस्थो व्रतमेतत्तु कुर्याद् भक्त्या समाहितः॥”

अर्थ: जो गृहस्थ सीता–राम का प्रणाम कर श्रद्धा से इस व्रत को करता है, उसे सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है.
परन्तु व्यवहारिक पक्ष से मिथिला सहित सम्पूर्ण उतर भारत मे इस दिन लोग प्रायः बेटी का विवाह नही करते कारण इस दिन विवाह करने से सीता जी को वनवास से लेकर कई परीक्षा देनी पड़ी इस धारणा को भी लोग मानते आ रहे है .

विवाह पंचमी का ज्योतिषीय महत्व 

ज्योतिष के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी की तिथि तब आती है जब चन्द्रमा शुभ नक्षत्रों (मृगशिरा, रोहिणी, पुनर्वसु) में और सूर्य धनु राशि में होता है. यह तिथि गृहस्थ स्थायित्व योग, सौख्य योग तथा सम्बन्ध संवृद्धि योग की द्योतक मानी गई है. अतः इस दिन दाम्पत्य-सौख्य, प्रेम, संतुलन और समर्पण हेतु पूजन, जप और दान अत्यन्त फलदायी हैं. 

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विवाह पंचमी पर क्या करें

1. प्रातःकाल स्नान कर भगवान श्रीराम एवं माता सीता का पूजन करें.
2. बालकाण्ड या विवाहकाण्ड का पाठ करें.
3. नवदंपतियों को आशीर्वाद दें और श्रीराम–सीता के नाम से मंगल गीत गाएं.
4. दाम्पत्य सुख हेतु सीताराम नाम-जप करें.
5. अन्न, वस्त्र, दीप, फल, पुष्प का दान करें.

विवाह पंचमी पर क्या न करें -

1. इस दिन क्रोध, झूठ, वाद-विवाद से दूर रहें.
2. मांस, मद्य, या असंयमपूर्ण व्यवहार वर्ज्य है.
3. स्त्रियों, गुरुओं या ब्राह्मणों का अपमान इस तिथि पर अत्यन्त पापदायक बताया गया है.

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विवाह पंचमी का सांस्कृतिक एवं सामाजिक संदेश

विवाह पंचमी भारतीय संस्कृति में गृहस्थ जीवन की मर्यादा का स्मरणोत्सव है.
यह पर्व सिखाता है कि विवाह केवल सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि धर्म का एक रूप है, जिसमें कर्तव्य, संयम, आदर और समर्पण का भाव होना चाहिए.

आज के आधुनिक परिवेश में जब पारिवारिक संस्कारों में भौतिकता बढ़ रही है, तब यह पर्व हमें स्मरण कराता है कि - 
“राम–सीता का विवाह केवल उत्सव नहीं, जीवन की मर्यादाओं का आदर्श है.”

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विवाह पंचमी का पर्व समाज को आदर्श गृहस्थ धर्म, नारी सम्मान और पारिवारिक संस्कारों के पालन की प्रेरणा देता है.
यह दिन प्रत्येक परिवार को सीता–राम के आदर्शों को जीवन में अपनाने का आह्वान करता है, ताकि समाज में प्रेम, सौहार्द और मर्यादा की परम्परा अक्षुण्ण बनी रहे.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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