Vikat Sankashti Chaturthi 2022: चतुर्थी व्रत महीने में दो बार आते हैं. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन संकष्टी चतुर्थी होती है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी का पूरे विधि-विधान से व्रत रखा जाता है. विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश (Lord Ganesha) की पूजा की जाती है और मान्यतानुसार उनको सुपारी, पान, मोदक, दूर्वा अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि जो लोग विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हैं और सच्चे भाव से व्रत (Sankashti Vrat) कथा का पाठ करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा के दर्शन करना जरूरी होता है. बिना चंद्रमा के दर्शन किए व्रत पूरा नहीं होता.
विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा | Vikat Sankashti Chaturthi Puja
पंचांग के मुताबिक, चतुर्थी तिथि की शुरुआत 19 अप्रैल को शाम 4:38 पर हो रही है. यह तिथि 20 अप्रैल को दोपहर 1:52 पर समाप्त होगी. इस व्रत में चंद्रमा का खास महत्व होता है इसलिए चतुर्थी तिथि पर चंद्रमा 19 अप्रैल को उदय होगा. इसी आधार पर विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 19 अप्रैल को रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन शुभ समय 11:55 से दोपहर 12:46 तक माना जा रहा है. संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त में मान्यता है कि इस दौरान आप कोई भी मांगलियक या शुभ कार्य कर सकते हैं.
विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करने की विशेष मान्यता है, इसे बहुत शुभ माना जाता है. दरअसल पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रदेव ने गणेश जी को ऐसा वरदान दिया था कि संकष्टी चतुर्थी के व्रत में उनका दर्शन करना महत्वपूर्ण होगा. संकष्टी चतुर्थी वाले दिन बहुत देर तक चंद्रोदय (Moon Rising) का इंतजार करना पड़ता है. कृष्ण पक्ष का चंद्रमा देर से नजर आता है. इस बार चंद्रमा के उदय का समय रात 9:50 पर माना जा रहा है. देश के अलग-अलग हिस्सों में जगह के आधार पर चंद्रोदय के समय में थोड़ा बहुत बदलाव हो सकता है.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों की सभी बाधाएं दूर होती हैं. शास्त्रों में भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है. यही वजह है कि विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त सच्चे मन से बप्पा की पूजा करते हैं और फिर चंद्र दर्शन करने के बाद उन्हें अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)