Vat Savitri Vrat 2025 Date: वट सावित्री व्रत एक पावन उपवास है, जिसे सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए करती हैं. ये व्रत हर साल ज्येष्ठ (Vat Savitri Vrat Story And Significance) महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. उत्तर भारत में इसे ज्येष्ठ अमावस्या को रखा जाता है, जबकि दक्षिण भारत में महिलाएं ये व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा को करती हैं. धार्मिक ग्रंथों में इस व्रत को (Vat Savitri Vrat Rituals And Timings) लेकर अलग-अलग मत हैं, स्कंद पुराण और भविष्योत्तर पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाना चाहिए, जबकि निर्णयामृत जैसे ग्रंथ इसे ज्येष्ठ अमावस्या को करने की बात कहते हैं. ये व्रत केवल (Vat Savitri Vrat Yoga And Nakshatra) सुहागन महिलाएं नहीं करती हैं, बल्कि विधवा, बालिका, वृद्धा, सपुत्रा और अपुत्रा यानी जिनके पुत्र नहीं हैं, ऐसी सभी महिलाएं भी श्रद्धा भाव से ये व्रत कर सकती हैं.
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इस व्रत में बरगद की पूजा क्यों की जाती है? (Why Is Vat Tree Worshipped In Vat Savitri Vrat)
अब सवाल उठता है कि इस व्रत में बरगद (वट वृक्ष) की पूजा क्यों की जाती है? दरअसल, वट वृक्ष को हिंदू धर्म में त्रिदेवों का वास माना गया है. ब्रह्मा इसकी जड़ों में, विष्णु तने में और शिव इसकी शाखाओं में निवास करते हैं. इस वृक्ष को दीर्घायु, समृद्धि और सुख का प्रतीक माना जाता है. आइए जानते हैं वट सावित्री व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और इसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से.
पति की दीर्घायु और सौभाग्य की रक्षा के लिए करते हैं (Vat Savitri Vrat For Husband Long Life)
वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि को लेकर कई ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ये व्रत देवी सावित्री की तपस्या और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. सावित्री ने अपने अखंड पतिव्रत, संकल्प शक्ति और श्रद्धा के बल पर अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस जीवित लौटा लाया था. इसलिए ये व्रत पति की दीर्घायु और सौभाग्य की रक्षा के लिए विशेष रूप से किया जाता है.
कब रखा जाएगा व्रत? (Vat Savitri Vrat Date And Timing)
पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत के लिए ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि 26 मई, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से प्रारंभ होगी और 27 मई, मंगलवार को सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. ऐसे में व्रत रखने की श्रेष्ठ तिथि 26 मई, सोमवार को मानी गई है. दिवाकर पंचांग के अनुसार भी वट सावित्री व्रत इस वर्ष 26 मई को ही मनाया जाएगा.
वट सावित्री व्रत 2025 का मुहूर्त (Vat Savitri Puja Muhurat 2025)
- ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:03 बजे से 04:44 बजे तक. ये समय ध्यान, पूजा और जप-तप के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
- अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो ये दोपहर 11:51 बजे से 12:46 बजे तक रहेगा. ये समय किसी भी शुभ कार्य के आरंभ के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
- अमृत–सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 05:25 बजे से 07:08 बजे तक का समय अत्यंत शुभ और फलदायी है.
- शुभ–उत्तम मुहूर्त सुबह 08:52 बजे से 10:35 बजे तक रहेगा, इस समय पूजा-पाठ व व्रत संबंधित काम किए जा सकते हैं.
- लाभ–उन्नति मुहूर्त: दोपहर 03:45 बजे से शाम 05:28 बजे तक का समय लाभकारी कार्यों के लिए उत्तम है.
- इन मुहूर्तों में व्रत, पूजन और वट वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य और मनोकामनाओं की सिद्धि होती है.
- वट सावित्री व्रत 2025 का विशेष संयोग ये है कि इस दिन शोभन योग और भरणी नक्षत्र का शुभ प्रभाव रहेगा.
- शोभन योग सुबह प्रात: काल से लेकर सुबह 7 बजकर 02 मिनट तक. इसके बाद अतिगंड योग आरंभ होगा, जो अगले दिन 27 मई की सुबह 2:55 बजे तक चलेगा. इसके बाद सुकर्मा योग प्रारंभ होगा.
इस दिन भरणी नक्षत्र सुबह 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा, जिसके बाद कृत्तिका नक्षत्र का प्रवेश होगा. इस शुभ योग और नक्षत्र में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है, जिससे व्रत का फल और भी अधिक प्रभावशाली हो जाता है.
ऐसा माना जाता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पति के ऊपर आया अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, जब सत्यवान के प्राण संकट में थे, तब वे वट वृक्ष के नीचे ही लेटे हुए थे और सावित्री ने वहीं पर अपने तप, भक्ति और दृढ़ संकल्प से उन्हें मृत्यु के मुंह से वापस लाया था. इसलिए इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है.
वट सावित्री व्रत 2025 के दिन के मुहूर्त (Vat Savitri Puja Muhurat 2025)
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:03 बजे से 04:44 बजे तक रहेगा.
- ये समय ध्यान, पूजा और जप-तप के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:51 बजे से 12:46 बजे तक रहेगा.
- ये समय किसी भी शुभ कार्य के आरंभ के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
- अमृत–सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 05:25 बजे से 07:08 बजे तक का समय अत्यंत शुभ और फलदायी है.
- शुभ–उत्तम मुहूर्त: सुबह 08:52 बजे से 10:35 बजे तक रहेगा, जो पूजा-पाठ व व्रत संबंधित कार्यों के लिए अनुकूल है.
- लाभ–उन्नति मुहूर्त: दोपहर 03:45 बजे से शाम 05:28 बजे तक का समय लाभकारी कार्यों के लिए उत्तम है.
- इन मुहूर्तों में व्रत, पूजन और वट वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य और मनोकामनाओं की सिद्धि होती है.
- वट सावित्री व्रत 2025 का विशेष संयोग ये है कि इस दिन शोभन योग और भरणी नक्षत्र का शुभ प्रभाव रहेगा.
शोभन योग प्रातःकाल से लेकर सुबह 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इसके बाद अतिगंड योग आरंभ होगा, जो अगले दिन 27 मई की सुबह 2:55 बजे तक चलेगा. इसके बाद सुकर्मा योग प्रारंभ होगा.
इस दिन भरणी नक्षत्र सुबह 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा, जिसके बाद कृत्तिका नक्षत्र का प्रवेश होगा. इस शुभ योग और नक्षत्र में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है, जिससे व्रत का फल और भी अधिक प्रभावशाली हो जाता है.
ऐसा माना जाता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पति के ऊपर आया अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, जब सत्यवान के प्राण संकट में थे, तब वे वट वृक्ष के नीचे ही लेटे हुए थे और सावित्री ने वहीं पर अपने तप, भक्ति और दृढ़ संकल्प से उन्हें मृत्यु के मुंह से वापस लाया था. इसलिए इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)