Vasu For Puja Mandir: घर का पूजा मंदिर इस तरह रखने से घर-परिवार रहता है हमेशा खुशहाल! वास्तु के मुताबिक जानिए खास नियम

Vasu For Puja Mandir: वास्तु शास्त्र के अनुसार, सही दिशा में पूजा मंदिर होने पर पूजा-पाठ का सकारात्मक फल मिलता है. माना जाता है कि पूजा मंदिर से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. जिस कारण घर-परिवार खुशहाल रहता है.

Advertisement
Read Time: 20 mins
V

Vasu For Puja Mandir: अधिकांश घरों में पूजा मंदिर (Puja Mandir) या पूजन के लिए निश्चित स्थान जरूर होता है. जहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में पूजा स्थान को देव स्थान कहा गया है. माना जाता है कि उस स्थान पर नियमित रूप से पूजा-अर्चना (Worship) करने पर देवताओं का वास होता है. माना जाता है कि इसी स्थान से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार होता है. मान्यता है कि वास्तु के अनुसार पूजा मंदिर (Puja Mandir According to Vastu) होने पर घर-परिवार के लोग खुशहाल रहते हैं. आइए जानते हैं कि वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में घर के पूजा मंदिर (Puja Mandir) के लिए क्या नियम बताए गए हैं. 

किस दिशा में रखें घर का पूजा मंदिर?

वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर का पूजा मंदिर या पूजन स्थल ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व की दिशा में होना अच्छा माना गया है. कहा जाता है कि इस दिशा में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है. इसलिए इस दिशा को देव-दिशा भी करते हैं. वास्तु शास्त्र के जानकारों का मानना है कि अगर ईशान कोण में मंदिर बनाना संभव ना हो तो पूरब में भी पूजा मंदिर का निर्माण किया जा सकता है. 

पूजा के दौरान किस दिशा में रखें मुंह

पूजा के लिए मंदिर की दिशा के अलावा अपनी दिशा का भी ध्यान रखा जाता है. धार्मिक मान्यतानुसार, पूजा करते वक्त पूरब दिशा की ओर अपना मुंह रखना शुभ होता है. अगर पूरब दिशा की ओर मुंह नहीं हो पा रहा हो तो पश्चिम दिशा भी शुभ मानी गई है. इन दोनों दिशाओं की ओर मुंह करके पूजा करना वास्तु के हिसाब से उचित माना जाता है.

Advertisement

वास्तु के मुताबिक कहां नहीं होना चाहिए पूजा मंदिर

वास्तु शास्त्र के मुताबिक पूजा मंदिर या पूजा घर बाथरूम या किचन के पास नहीं होना चाहिए. साथ ही पूजा मंदिर बाथरूम या किचन से सटा हुआ भी नहीं होना चाहिए. इसके अलावा बेडरूम में भी पूजा मंदिर का होना शुभ नहीं माना गया है. सीढ़ियों के नीचे पूजा मंदिर होना भी वास्तु शास्त्र के विपरीत माना गया है. 

Advertisement

पूजा मंदिर की ऊंचाई का रखा जाता है विशेष ध्यान

कई घरों में पूजा मंदिर जमीन या फर्श पर होता है. जिसे वास्तु सम्मत नहीं माना जाता है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर के पूजा मंदिर की ऊंचाई इतनी हो कि भगवान के पैर पूजा करने वाले के हृदय तक रहे.

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

क्या आप जानते हैं? धर्म की लड़ाई और मंदिर-मस्जिद विवाद क्यों?

Featured Video Of The Day
Jammu Kashmir Assembly Elections: AIP और जमाते इस्लामी के समर्थन वाले निर्दलीय किसका खेल बिगाड़ेंगे?