Gowri Habba: आज है गौरी हब्बा पर्व, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, मिलेगा मां पार्वती का आशीर्वाद

दक्षिण भारत में गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले गौरी हब्बा का पर्व मनाया जाता है. उत्तर भारत में इसे हरतालिका तीज के तौर पर मनाते हैं और इसे गौरी गणेश पर्व भी कहा जाता है.

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गौरी हब्बा पर्व के दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करके मां पार्वती के लिए व्रत करती हैं.

Gowri habba date : सनातन धर्म में शक्ति की प्रतीक कही जाने वाली मां पार्वती (maa parvati)  की पूजा से जुड़ा गौरी हब्बा (gowri habba)पर्व गौरी गणेश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. ये त्यौहार देश के दक्षिणी राज्यों में काफी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है. गौरी हब्बा का त्योहार भगवान शिव की अर्धांगिनी और  श्री गणपति की मां पार्वती की शक्ति और आराधना के तौर पर मनाया जाता है. हर साल ये त्योहार इस साल गौरी हब्बा का त्योहार 6 सितंबर को मनाया जा रहा है. इस दिन विधि विधान से मां पार्वती की पूजा होती है. इस दिन महिलाएं मां गौरी के लिए व्रत रखकर पूजा करती हैं. इस दिन दक्षिणी राज्यों खासकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बड़े उत्सव होते हैं. महाराष्ट्र और उत्तर भारत में इसे गौरी गणेश पर्व और हरतालिका तीज (hartalika Teej) के तौर पर मनाया जाता है और यहां भी महिलाएं इस दिन खास पूजा करती हैं. आपको बता दें कि गौरी हब्बा यानी गौरी गणेश गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले मनाया जाता है.

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कैसे करें गौरी हब्बा पर मां पार्वती की पूजा   | How to do puja of gauri maa

गौरी हब्बा पर्व के दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करके मां पार्वती के लिए व्रत करती हैं ताकि उनका दांपत्य जीवन सुखी और खुशहाल रहे. इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर घर आंगन की सफाई करती हैं. इसके बाद घर को फूलों और रंगोली से सजाया जाता है. मां पार्वती की हल्दी और मिट्टी से प्रतिमा बनाई जाती है, जिसे 'अरिशिनदगौरी'कहा जाता है.  महिलाएं पूजा के लिए चौकी तैयार करती हैं जिस पर मां पार्वती की प्रतिमा रखी जाती है. मां गौरी की प्रतिमा को नए वस्त्र, गहने और माला पहनाई जाती है. मां के बगल में कलश स्थापना की जाती है. इसके बाद मां पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है. पहले उनको हल्दी और कुमकुम से तिलक किया जाता है. इसके बाद फूल अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद धूप दीप जलाए जाते हैं. इसके बाद उनको भोग अर्पित किया जाता है और अंत में आरती की जाती है.

Photo Credit: insta/__shiv_parvati_



गौरी हब्बा पर पूजा का शुभ मुहूर्त  |  Gauri habba puja time


इस बार तृतीया तिथि 5 सितंबर की दोपहर को 12.21 मिनट पर आरंभ हो रही है. तृतीया तिथि का समापन अगले दिन 6 सितंबर को 03 बजकर 1 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार गौरी हब्बा का व्रत 6 सितंबर को किया जाएगा. इस दिन मां गौरी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5.25 मिनट से रात 08.01 मिनट तक रहेगा. इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं. इस दिन महिलाएं केवल फलाहार करती हैं. मां गौरी की पूजा के बाद परिवार और आस पास के लोग मां गौरी के लिए भजन आदि गाते हैं. ये त्योहार दक्षिण भारत में कई दिन तक धूमधाम से मनता है और इसके बाद मां गौरी की प्रतिमा को नदी में विसर्जित किया जाता है. कहा जाता है कि मां गौरी साहस और शक्ति का प्रतीक है. बतौर मां वो अपने पुत्र की रक्षा करती है और बतौर सहभागिनी को सदैव शिव का साथ निभाती आई है. इसलिए महिलाएं पति के साथ और बच्चों की रक्षा के लिए मां गौरी से सामर्थ्य मांगते हुए उनके निमित्त व्रत करती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Hartalika Teej का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जानें पारण का समय | NDTV India

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