शास्त्रों के अनुसार, सोमवार (Somvar Vrat) को भगवान शिव (Shiv Ji) जी की पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन व्रत करने से भगवान शिव और देवी पार्वती प्रसन्न होते हैं. कहा जाता है कि शिवजी जितनी जल्दी अपने भक्तों से खुश होते हैं, उतनी ही जल्दी नाराज भी हो जाते हैं, इसलिए शिवजी की पूजा करते समय मनुष्य को विशेष सावधानी रखनी चाहिए. वैसे तो सोमवार का व्रत बेहद ही सरल होता है, लेकिन इस व्रत को करने के कुछ नियम हैं. उन नियमों का पालन करना आवश्यक है. कई बार सोमवार के व्रत और पूजन में कुछ गलतियां हो जाती है और कहा जाता है कि इन गलतियों की वजह से व्रत का फल नहीं मिल पाता. आइए जानते हैं सोमवार को व्रत करने के नियम और साथ ही जानें पूजा में कौन सी गलतियां न करें.
देवों के देव महादेव (Devon Ke Dev Mahadev)
माना जाता है कि भगवान शिव जी की पूजा करने से मनुष्य को जीवन में वह हर सुख मिलता है, जिसकी वह कामना करता है. सोमवार का दिन भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव (Ship) की पूजा के साथ ही व्रत भी रखा जाता है. इस दिन के व्रत को सोमेश्वर नाम से भी जाना जाता है. देवों के देव महादेव माने गए हैं. बता दें कि भगवान शिव जी को शंकर, आशुतोष, महादेव, भोलेनाथ सहित अनेक नामों से जाना जाता है. माना जाता है कि आज के दिन यानि सोमवार को भगवान शिव अत्यंत आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं, जिसके चलते भक्त मनचाहा आशीर्वाद इनसे प्राप्त करते हैं, लेकिन एक ओर जहां शिव अत्यंत सरल व भोले हैं तो वहीं यह अत्यंत क्रोधी भी हैं, इसलिए इनकी पूजा (Monday Shiv Puja Rules) के दौरान सतर्क रहना चाहिए.
सोमवार व्रत के प्रकार (Types Of Monday Fasting)
आपको बता दें कि सोमवार का व्रत तीन प्रकार का होता है. इसमें साधारण प्रति सोमवार, सोम्य प्रदोष और सोलह सोमवार शामिल हैं. तीनों ही व्रत का विधि-विधान और पूजा के नियम एक समान ही हैं. इनमें एक बार भोजन करना चाहिए.
भगवान शिव जी की पूजा में न करें ये गलतियां (Do Not Make These Mistakes In Worshiping)
- माना जाता है कि भगवान शिव जी की पूजा के दौरान दूध का जलाभिषेक किया जाता है. ख्याल रखें कि जब भी आप शिवलिंग पर दूध, दही, शहद या अन्य कोई और वस्तु चढ़ाते हैं तो उसके बाद जल जरूर चढ़ाएं. स्नान तब ही पूर्ण माना जाता है, जब आपके द्वारा भगवान को चढ़ाई गई वस्तु जल से पूरी तरह साफ हो जाए. बता दें कि शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराने के बाद साफ जल जरूर चढ़ाना चाहिए. साफ जल चढ़ाने के बाद ही आपके द्वारा किया गया अभिषेक पूर्ण माना जाता है.
- पूजा करते समय इस बात का ख्याल रखें कि दूध को तांबे के लोटे या बर्तन में ना डालें. हमेशा दूध को स्टील, पीतल या चांदी के पात्र में ही डालना चाहिए. बता दें कि तांबे में दूध डालने से वह दूध संक्रमित हो जाता है और खराब हो जाता है. साथ ही बाद में यह दूध शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य नहीं रह जाता है.
- ऐसे कई लोग होते हैं जो शिवलिंग पर ही धूप या फिर अगरबत्ती लगा देते हैं, जो कि गलत है. पुराणों के मुताबिक, शिवलिंग को जितनी ठंडा किया जाएगा, भगवान शिव उतना ही प्रसन्न होंगे, इसलिए शिवलिंग पर भूलकर भी धूपबत्ती न लगाएं. दीपक या धूप को शिवलिंग व मूर्तियों से थोड़ा दूरी पर ही रखना चाहिए.
- शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पर कभी भी रोली व सिंदूर का तिलक नहीं लगाना चाहिए. शिवलिंग पर हमेशा चंदन का ही तिलक करें.
- भगवान शिव के मंदिर में परिक्रमा करते वक्त ध्यान रखें कि कभी भी पूरी परिक्रमा न लगाएं. जहां से दूध बहता है वहां रूक जाएं और वापस घूम जाएं.
- शिवलिंग के ऊपर रखे कलश में कभी भी दूध ना डालें, उसमें सिर्फ साफ जल ही डालें ताकि शिवलिंग पर साफ जल चढ़ता रहे और स्नान होता रहे, सिर्फ रुद्राभिषेक के समय ही कलश में दूध डाला जाता है.
- ऐसा माना जाता है कि कभी किसी दूसरे के धन पर नजर न रखें. चोरी,जुआ खेलना, माता-पिता और देवी-देवताओं के साथ साधु-संतों का अपमान करने वाले से भगवान शिव जी ही नहीं उनका पूरा परिवार ही क्रोधित हो जाता है. खास कर सोमवार के दिन कभी भी किसी घर आए मेहमान का निरादर न करें.
- सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करते समय कभी काला वस्त्र धारण न करें. भगवान शिव जी को ही नहीं उनके पुत्र और देवी पार्वती को भी काला रंग पसंद नहीं है. सोमवार के दिन वैसे हमेशा सफेद रंग का वस्त्र पहना चाहिए, अन्यथा आप हरा, लाल, सफ़ेद, केसरिया, पीला या आसमानी रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं. माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ को नीला रंग प्रिय है.