Bathing Rules: स्नान के भी होते हैं नियम, नदी हो या नल, नहाते समय हमेशा याद रखें ये जरूरी बात

Bathing rules in Hinduism: सनातन परंपरा में एक स्वस्थ और सात्विक जीवन जीने के लिए खान-पान से लेकर स्नान आदि के लिए कई नियम बताए गये हैं. ऐसे में यदि आप गंगा स्नान करने जा रहे हों या फिर अपने घर के बाथरूम में, आपको नहाते समय कुछेक नियमों का हमेशा ख्याल रखना चाहिए.

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Bathing rules in Hinduism: स्नान के शास्त्रीय नियम
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What is the right time to take bath: तन और मन को पवित्र बनाने के लिए हम सभी अक्सर स्नान किया करते हैं. हमारे यहां जिस स्नान को भी ईश्वरीय पूजा का एक भाग माना गया है, शायद यही कारण है कि तमाम तरह के तीज-त्योहार पर लोग बड़ी संख्या में नदी, सरोवर, समुद्र आदि जल तीर्थ पर स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. कुंभ का महापर्व तो स्नान मात्र से ही जुड़ा है, जिसमें एक पवित्र डुबकी लगाने के लिए देश-दुनिया से लोग देश के चार प्रमुख तीर्थ पर पहुंचते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि शरीर को तारोताजा बनाए रखने के लिए किए जाने वाले स्नान को लेकर शास्त्रों में कुछेक नियम बताए बताए गये हैं. आइए उन नियमों को विस्तार से जानते हैं.

कितने प्रकार के स्नान होते हैं?

सनातन परंपरा में चार प्रकार के स्नान बताए गये हैं, जिनका अपना एक समय होता है. जैसे मुनि स्नान जो कि प्रतिदिन भोर में 4 से 5 बजे के मध्य में किया जाता है. दूसरा देव स्नान होता है जिसे लोग 5 से 6 बजे के मध्य करते हैं. तीसरा स्नान मानव स्नान कहलाता है, जिसे अमूमन 6 से 8 बजे के बीच किया जाता है. इसके बाद आता है राक्षसी स्नान जो कि प्रात:काल 8 बजे के बाद किए जाने वाले स्नान को कहते हैं.

स्नान करने का मंत्र

हिंदू मान्यता के अनुसार स्नान करते समय व्यक्ति को पवित्र नदियों का स्मरण करते हुए बल एवं तेज आदि में वृद्धि की कामना करना चाहिए. स्नान की शुभता को प्राप्त करने के लिए नहाते समय इस मंत्र को पढ़ना चाहिए- गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु.

हिंदू मान्यता के अनुसार किसी पवित्र जल तीर्थ जैसे गंगा आदि में स्नान करने के लिए जाते समय घर से स्नान करके जाना चाहिए क्योंकि इन पावन तीर्थ को देवी-देवताओं के समान पवित्र माना गया है. गंगा नदी में अपवित्र अवस्था में प्रवेश करना दोष माना गया है.

स्नान करने के बाद भूलकर न करें ये काम

हिंदू मान्यता के अनुसार स्नान करने के बाद व्यक्ति को कभी भी पहने हुए या फिर गंदे वस्त्र नहीं धारण करना चाहिए. मान्यता है कि पूर्व में पहने गये वस्त्रों में समाहित नकारात्मक ऊर्जा आपके विचारों और कामकाज में बुरा प्रभाव डाल सकती है.

स्नान करने के लाभ

  • स्नान करने से व्यक्ति का तन और मन हमेशा पवित्र बना रहता है.
  • स्नान करने से व्यक्ति के बुरे सपनों अथवा अन्य कर्मों से जुड़े दोष दूर होते हैं.
  • स्नान करने के बाद व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
  • हिंदू मान्यता के अनुसार प्रात:काल सही समय पर स्नान करने से व्यक्ति के रूप, तेज, बल, आरोग्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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