Skanda Sashti 2023: स्कंद षष्ठी (sakanda sashti) हर महीने शुल्क पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है. इसे कांदा षष्ठी (kanda sashti) भी कहा जाता है. यह भगवान स्कंद की पूजा करने के लिए मनाया जाता है, जो भगवान कार्तिकेय के अवतार माने जाते हैं और भगवान शिव माता पार्वती के पुत्र हैं. इस षष्ठी में लोगों के द्वारा व्रत रखा जाता है, और कार्तिकेय भगवान की विधिवत रूप से पूजा अर्चना की जाती है. यह प्रमुख दक्षिणी त्योहार है जो भगवान स्कंद और सब्रमण्यम से जुङा है. आम तौर पर लोग जानते हैं कि गणेश चतुर्थी भाद्रपद में होती है, लेकिन संकष्टी चतुर्थी (lord ganesha) और विनायक चतुर्थी भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि दोनों भगवान गणेश से संबंधित हैं. अगर आप भी भगवान कार्तिकेय की कृपा-दृष्टि के चाहते हैं, तो इस तरीके से भगवान स्कंद की पूजा करें.
क्या है शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी की शुरुआत 20 सितंबर, बुधवार को दोपहर 2 बजकर 16 मिनट पर होगी और 21 सितंबर, गुरुवार को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर इसका समापन होगा.
क्या है पूजा की सही विधि
भारत में चाहे कोई भी त्योहार हो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. स्कंद षष्ठी में भी आपको ऐसी कुछ बातें याद रखनी चाहिए ताकि भगवान की कृपया हमेशा आप पर बनी रहे. सुबह उठकर नहाना सबसे जरूरी माना जाता है. ठीक इसी तरह इस दिन भी आपको सबसे पहले सुबह उठकर नहा लेना चाहिए. स्वच्छ और साफ कपड़े धारण करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त पर एक चौकी लगाकर उस पर लाल या पीला रंग का कपड़ा बिछाए और भगवान कार्तिकेय को चौकी पर विराजमान करें. ध्यान रहे उनकी जगह को बदलना नहीं है और जिस दिन आपने उनकी स्थापना की उस दिन से लेकर अगले दिन तक उनकी पूजा अर्चना करें. उन्हें नहलाएं, नए वस्त्र पहनाएं. धूप- दीप, हल्दी, चंदन, फूल और फल चढ़ाएं. कार्तिकेय चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें. फिर आरती करके परिवार के लिए सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें. शाम में आरती करके फलाहार करें. (प्रस्तुति- रौशनी सिंह)
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)