राजस्थान के झुंझुनू में हर साल होती है मूक रामलीला, इसका प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से है संबंध

Silent ramlila in jhunjhunu : यह रामलीला को बिसाऊ के साधारण निवासियों की अनोखी प्रस्तुति ही तो है, जो भारतवर्ष की लोक कला और रामायण की  वैदिक संस्कृति को सहज ही उजागर करती है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
200 hundred years old ramlila : इस मूक रामलीला में 100 से भी अधिक स्थानीय निवासी भाग लेते हैं.

बिसाऊ राजस्थान के झुंझुनू जिले में बसा हुआ एक छोटा-सा कस्बा है, जहां पर सन 1857 से  लगातार प्रतिवर्ष एक  खुली सड़क पर इस मूक रामलीला का मंचन होता आ रहा है, जिसका आयोजन "रामलीला प्रबंध समिति, बिसाऊ"  द्वारा किया जाता है. इस मूक रामलीला के तार भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुडे़ हुए हैं. हिंदू कैलन्डर के श्रावण माह में प्रथम नवरात्रि से लेकर पंन्द्रहवीं  नवरात्रि के मध्य प्रतिदिन संध्या के 6 बजे से लेकर 9 बजे के बीच इसकको अभिनित किया जाता है.

इस रामलीला की शूटिंग के लिए 35 सदस्यों की समर्पित ने 6 कैमरों, द्रोन, क्रेन और ट्राली की सहायता से लगभग 150 घंटे की अवधि की शूटिंग की, जिसको बहुत ही बारिकी से मात्र 72 मिनिट की फिल्म में संकुचित करके प्रदर्शन हेतु तैयार दिया गया.

इस रामलीला में भाग लेने वाले कलाकारों से लेकर, साज-सज्जा करने वाले, श्रृंगार वाले, वेशभूषा बनाने वाले, विभिन्न आवश्यक नाटक-सामग्री और साऊंड सिस्टम वाले भी बिसाऊ के आम नागरिक ही होते हैं, जो पीढी-दर-पीढी अपनी अपनी भूमिकाएं निभाते आ रहे हैं.


इस मूक रामलीला में 100 से भी अधिक स्थानीय निवासी भाग लेते हैं, परन्तु कोई भी कलाकार एक भी संवाद नहीं बोलता. पार्श्व से गाए जाने वाले रामायण के दोहे एवं श्लोक इत्यादि और बीच बीच में उद्घोषक द्वारा दिया गया विवरण ही इसकी पटकथा को समझाने की भूमिका निभाते हैं.


यह रामलीला को बिसाऊ के साधारण निवासियों की अनोखी प्रस्तुति ही तो है, जो भारतवर्ष की लोक कला और रामायण की  वैदिक  संस्कृति को सहज ही उजागर करती है. इसलिए हम इसको  लोगों की लोगों द्वारा और लोगों के लिए  मंचित की जाने वाली मूक रामलीला ही कहते है.

Featured Video Of The Day
IND vs AUS BREAKING: Australia ने शुरु की बल्लेबाजी, पहली पारी में भारत ने बनाए 185 रन, All Out
Topics mentioned in this article