Vastu Tips For Staircase: हिंदू धर्म किसी भी मकान को बनाते समय वास्तु शास्त्र के नियमों पर विशेष ध्यान दिया जाता है क्योंकि इसका संबध पंचतत्वों पर आधारित उन नियमों से है, जो किसी भी स्थान के भीतर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने का काम करता है. यदि बात करें घर की सीढ़ियों की तो इसे बनवाते समय इसका अत्यधिक ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि इससे आपकी किस्मत का कनेक्शन जुड़ा होता है.
वास्तु के अनुसार घर के भीतर सही स्थान, सही दिशा और सही तरीके से बनी सीढ़ियां जहां सुख.समृद्धि और सौभाग्य का तो वहीं नियमों की अनदेखी करने पर दुख और दुर्भाग्य का कारण बनती है. आइए सीढ़ी से जुड़े जरूरी नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
किस दिशा में बनानी चाहिए सीढ़ियां
वास्तु के अनुसार घर के भीतर बनाई जाने वाली सीढ़ियों की शुरुआत दक्षिण या फिर पश्चिम दिशा करनी चाहिए और इसकी पैड़ी की संख्या 12 से अधिक नहीं करनी चाहिए. सीढ़ियां हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में बढ़ते हुए क्रम में बनवाना शुभ होता है.
कहां नहीं बनवानी चाहिए सीढ़ियां?
वास्तु के अनुसार कभी भूलकर भी घर के मेन डोर के सामने और ब्रह्म स्थान में सीढ़ियां नहीं बनाना चाहिए क्योंकि ऐसी सीढ़िया अक्सर गृह क्लेश और दुख.दुर्भाग्य का कारण बनती हैं.
सीढ़ी में जरूर लगवाएं गेट
वास्तु शास्त्र के अनुसार सीढ़ी के दोनों तरफ गेट लगाना चाहिए, इससे उसकी शुभता बढ़ती है, लेकिन ध्यान रहे कि नीचे वाले के मुकाबले सीढ़ी का ऊपर वाला गेट थोड़ा छोटा रहना चाहिए.
सीढ़ी से जुड़ा वास्तु दोष
- वास्तु शास्त्र के अनुसार सीढ़ियों के नीचे कभी भी किचन, बाथरूम या शू.रैक वगैरह नहीं बनवाना चाहिए. वास्तु शास्त्र में इसे बड़ा दोष माना गया है. वास्तु के अनुसार सीढ़ियों के नीचे का स्थान हमेशा साफ और खाली रखना चाहिए.
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के भीतर छोटी.बड़ी या फिर अधूरी सीढ़ियां बड़े वास्तु दोष का कारण बनती हैं.
- वास्तु के अनुसार कभी भूलकर भी सीढ़ियों के नीचे पूजा स्थान या स्टडी रूम नहीं बनाना चाहिए.
- वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्वोत्तर दिशा यानि ईशान कोण में कभी भी सीढ़ियां नहीं बनवानी चाहिए क्योंकि इससे उत्पन्न दोष धन हानि का कारण बनता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














