अंकित श्वेताभ: भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं हर किसी को मन हो मोह लेती हैं. उनकी बाल लीलाओं में सबसे ज्यादा खास माखन (Shri Krishna) चुराना और खाना माना जाता है. भगवान की इस लीला का वर्णन कवियों और उनके भक्तों ने काफी मनोहर तरीके से किया है. (Shri Krishna And Makhan) कान्हा को माखन खाना सबसे ज्यादा पसंद था. छोटी-छोटी उंगलियों में लिपटा माखन और उनके मुख का भाव सुंदर लगता है. श्रीकृष्ण जब भी माखन (Makhan) खाया करते थे तो थोड़ा सा जमीन पर भी बिखेर देते थे. अक्सर ये सवाल उठता रहता है कि आखिर वे ऐसा क्यों किया करते थे. आइए जानते हैं प्रभु की इस लीला के पीछे का कारण...
माखन क्यों बिखरते थे श्रीकृष्ण
हर कोई जानता है कि भगवान श्रीकृष्ण को मिश्री और माखन काफी प्रिय है. भक्त इसी का भोग भी उन्हें लगाते हैं. भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल स्वरूप में छींके सा माखन उतारकर खाया करते थे. जो भी माखन भगवान चुराते उसे अपनी मित्र मंडली को खिलाते और खुद भी खाया करते थे. इस दौरान उनके माखन का कुछ हिस्सा नीचे जमीन पर गिर जाया करता था. वे इसे जानबूझकर नहीं बिखेरा करते थे.
भगवान श्रीकृष्ण क्यों चुराते थे माखन
बचपन में श्रीकृष्ण को माखन चुराकर खाना पसंद था. जानकार इसे अन्याय के प्रति उनका विरोध बताते हैं. उनका कहना है कि उस समय कृष्ण के मामा कंस लोगों से टैक्स के तौर पर ढेर सारा दूध, माखन, घी वसूला करते थे. इसी के विरोध में श्रीकृष्ण माखन खाते और मटकी फोड़ दिया करते थे. भगवान ग्वालों के साथ मिलकर सारा माखन खा जाते थे. उनका मानना था कि ब्रज के लोगों की मेहनत का हकदार वहीं के लोग हैं. वहीं, मिश्री उन्हें इसलिए पसंद है क्योंकि जब वह माखन में मिलती है तो उसकी मिठास पूरे माखन में घुल जाती है. इसलिए हर किसी को अपना स्वभाव मिश्री जैसा बनाना चाहिए. ताकि जब भी किसी से मिले तो उसमें अपने गुणों को समाहित करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)