Shattila Ekadashi 2022: कब है षटतिला एकादशी, जानिए तिथि, मुहूर्त और व्रत विधि

हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के निमित्त व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है. आइए जानते हैं षटतिला एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि.

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Shattila Ekadashi 2022: जानिए कब है षटतिला एकादशी व्रत, यह है पूजा का शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली:

माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi 2022) को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है. षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) के दिन भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है. बता दें कि हर महीने में दो एकादशी पड़ती हैं. इस प्रकार साल भर में कुल मिलाकर 24 एकादशी पड़ती है. इन शुभ और पवित्र दिनों में भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन और व्रत रखा जाता है. कहते हैं कि भगवान विष्णु को ये तिथि बेहद प्रिय है. श्री हरि को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उनके भक्त उनकी आराधना-उपासना करते हैं. आइए जानते हैं षटतिला एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि.

षटतिला एकादशी शुभ मुहूर्त |Shattila Ekadashi Shubh Muhurat

  • षटतिला एकादशी तिथि की शुरुआत- 28 जनवरी, शुक्रवार को 02 बजकर 16 मिनट पर होगी.
  • षटतिला एकादशी तिथि का समापन- 28 जनवरी की रात 23 बजकर 35 मिनट पर होगा.
  • षटतिला एकादशी का व्रत 28 जनवरी को रखा जाएगा.
  • व्रत का पारण 29 जनवरी को किया जाएगा.
  • पारण के लिए शुभ समय- शनिवार को सुबह 07 बजकर 11 मिनट से सुबह 09 बजकर 20 मिनट के बीच रहेगा.
  • आप चाहें तो दिन में किसी भी समय पारण कर सकते हैं, क्योंकि द्वादशी तिथि पूरे दिन रहेगी.
  • द्वादशी तिथि का समापन 29 जनवरी की रात 08 बजकर 37 मिनट पर होगा.

षटतिला एकादशी व्रत विधि | Shattila Ekadashi Vrat Vidhi

  • सुबह सफेद तिल का उबटन लगाकर या फिर पानी में तिल मिलाकर स्नान करें.
  • स्नान आदि करके पूजा स्थल पर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें.
  • विघ्‍नहर्ता भगवान श्री गणेश को नमन करने के बाद भगवान श्री हरि विष्णु का स्मरण करें.
  • भगवान श्री हरि विष्णु का अभिषेक कर विधि-विधान से पूजन करें.
  • इस दिन भगवान श्री हरि को तिल से बने पकवान का भोग लगाएं.
  • पांच मुट्ठी तिल लेकर 108 बार ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
  • पूजा के दौरान भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें.

  • तिल की आहुति दें.
  • व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
  • रात में कीर्तन करें.
  • पूजा के बाद किसी प्रकार से हुई गलती के लिए भगवान से क्षमा मांगे.
  • दूसरे दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन खिलाएं व भोजन में तिल से बनी किसी चीज को शामिल करें.
  • फिर दक्षिणा और तिल का दान करें. इसके बाद व्रत खोलें.
  • इस दिन तिल का दान करना उत्तम माना जाता है.

  • व्रती को जल पीने की इच्छा हो तो जल में तिल मिलाकर पिएं.
  • जो लोग व्रत नहीं कर सकते हैं वह तिल का उपयोग अवश्य करें.
  • इस दिन तिल खाएं, तिल मिला हुआ पानी पिएं. तिल का उबटन लगाकर स्नान करें और तिल का दान करना शुभ माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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