Navratri 2025 Delhi Devi Temple: आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक देवी दुर्गा के 09 अवतारों की विशेष पूजा का विधान है. हिंदू मान्यता के अनुसार शक्ति की इस 9 दिनी साधना के दौरान मां भगवती से जुड़े पावन धाम पर जाकर उनके दर्शन और पूजन करने से विशिष्ट फलों की प्राप्ति होती है. देवी के आशीर्वाद से उसके सारे दु:ख दूर और कामनाएं पूरी होती हैं. देश के तमाम सिद्धपीठों में से कुछेक देश की राजधानी दिल्ली में स्थित हैं, जहां सिर्फ नवरात्रि में ही नहीं बल्कि पूरे साल माता के भक्तों की भीड़ जुटती है. आइए दिल्ली के उन 5 सिद्धपीठों के बारे में जानते हैं, जहां जाने वाला कोई व्यक्ति कभी खाली हाथ नहीं लौटता है.
झंडेवाला मंदिर
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से बेहद करीब करोलबाग में स्थित झंडेवालान मंदिर में देवी भक्तों की अटूट आस्था है. यहां नवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. मान्यता है कि एक समय इस मंदिर का झंडा दूर से ही दिखाई देता था, इसलिए लोग इस पावन सिद्धपीठ को झंडेवालान मंदिर के नाम से पुकारने लगे तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यहां पर जब खुदाई में माता की प्राचीन प्रतिमा मिली तो उसके साथ एक झंडा भी था, इसलिए इसका नाम झंडेवालान पड़ा. बहरहाल इस मंदिर मे जाने पर आपको माता की नई और प्राचीन मूर्ति दोनों के ही दर्शन करने को मिलती हैं.
कालीबाड़ी मंदिर
मां भगवती के काली स्वरूप की पूजा के लिए देश की राजधानी दिल्ली में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. इनमें से एक गोल मार्केट के पास तो दूसरा सीआर पार्क में स्थित है. इन दोनों ही काली मंदिरों में हर साल नवरात्रि के समय भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. यहां पर लोग न सिर्फ मां काली के सिद्ध धाम का बल्कि यहां पर लगने वाली दुर्गा पूजा का भी दर्शन करने के लिए विशेष रूप से पहुंचते हैं. इन काली मंदिरों के अलावा दिल्ली के मयूर विहार और आर. के. पुरम में स्थित काली मंदिरों में भी काफी संख्या में भक्त पहुंचते हैं.
योगमाया मंदिर
देश की राजधानी दिल्ली के कुतुबमीनार से कुछ ही दूरी पर स्थित मां योगमाया का मंदिर भी नवरात्रि के समय भक्तों की भारी भीड़ से भरा रहता है. यह मंदिर महाभारतकालीन माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार मां योगमाया भगवान श्री कृष्ण की बहन है. देवी का यह मंदिर तकरीबन पांच हजार साल पुराना माना जाता है. देवी यहां पर पिंडी स्वरूप में हैं, जिन्हें चौहान राजाओं की कुलदेवी कहा जाता है. माता का प्रतिदिन पुष्पों और वस्त्रों से दिव्य श्रृंगार किया जाता है.
कालका मंदिर
दिल्ली का यह सिद्धपीठ शक्ति के साधकों का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. मां दुर्गा कालिका के रूप में विजरामान हैं. तंत्र-मंत्र और ज्योतिष से जुड़ा यह मंदिर सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में भी खुला रहता है. स्थानीय लोग इसे मनोकामना पीठ भी कहते हैं क्योंकि लोगों की मान्यता है कि माता का दर्शन और पूजन करने वाला कभी भी खाली हाथ नहीं जाता है. देवी के इस मंदिर में प्रवेश के 12 द्वार हैं जो 12 राशियों के प्रतीक माना जाता है. देवी कालका के इस मंदिर का संबंध भी महाभारत काल से जुड़ा है. मान्यता है कि इसी मंदिर में देवी पूजा करने के बाद पांडवों को विजय का वरदान मिला था.
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छतरपुर मंदिर
शक्ति के छठे स्वरूप माता कात्यायनी का यह मंदिर छतरपुर मेट्रो स्टेशन से थोड़ी दूरी पर स्थित है. तकरीबन 70 एकड़ में फैले इस पावन सिद्धपीठ का निर्माण कभी शक्ति के उपासक संत बाबा नागपाल ने करवाया था. देवी के इस मंदिर में आपको माता कात्यायनी के साथ महिषासुरमर्दिनी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है. नवरात्रि के समय स्वर्ण आभा लिए हुए देवी कात्यायनी की प्रतिमा का श्रृंगार देखते ही बनता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)