Shani Trayodashi: साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति का दिव्य उपाय है शनि त्रयोदशी व्रत, जानें क्या है इस व्रत की पूजा विधि और लाभ

बहुत ही विशेष दिन माना जाता है पौष कृष्ण पक्ष की शनि त्रयोदशी व्रत. इस दिन शनिदेव के साथ महादेव की भी की जाती है पूजा-अर्चना. इस व्रत से जातकों की हर मनोकामनाएं होती है पूरी .

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
इस दिन जातकों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करना चाहिए.
Shani Trayodashi: हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय के देवता और कर्मों का फल दाता माना गया है. माना जाता है कि, उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का अनुभूति होती है और उनकी नाराजगी कठिनाइयों और बाधाओं को जन्म देती है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, साल में पूरे 24 त्रयोदशी तिथियां आती हैं. ये दिन देवो के देव महादेव को समर्पित होता है. ऐसे में वैदिक पंचांग के मुताबिक, अगर ये त्रयोदशी तिथि कृष्ण पक्ष के शनिवार को पड़ती है, तो इसका महत्व और भी फलदाई माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, पौष महिने की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत काफी फल देने वाला होता है. इसे शनि त्रयोदशी व्रत कहा जाता है. इस दिन शनिदेव के साथ ही महादेव की भी पूजा-अर्चना की जाती है. उसके साथ ही इस व्रत को करने से जातकों को महादेव के साथ शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होती है. इस साल 28 दिसंबर 2024 को  पौष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पड़ रही है.

महाकुंभ से जुड़ी सारी जानकारी के लिए यहां देखें 

क्या है शनि त्रयोदशी  | Shani Trayodashi Vrat

शनि त्रयोदशी पूजा विधि और लाभ

इस दिन जातकों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करना चाहिए. उसके बाद तिल के तेल, काले तिल और जल से शनिदेव का अभिषेक कर सरसों के तेल का दीप जलाएं और शनिदेव के सामने रखें. ऐसा करने के बाद आप 108 बार “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का मंत्र जाप करें. अंत में जातक किसी गरीब व्यक्ति को काले तिल,  उड़द, लोहा और काले कपड़ों का दान करें. माना जाता है कि, ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है, जातकों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और साथ ही पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं में भी सुधार होता है.

जातक ये ध्यान रखें कि, शनि देव की पूजा सच्चे मन से करें किसी भी प्रकार का अहंकार और झूठ बोलने से बचें और जरूरतमंदों की मदद जरूर करें. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल देते हैं. शनि त्रयोदशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,  बल्कि जीवन के संघर्षों से उबरने का भी एक मार्ग है. इस दिन की गई पूजा और दान से शनि देव की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली का आगमन हो सकता है. 

शनि की साढ़े साती और ढैया

शनि देव को कर्मों का फल देने वाले देवता माना जाता है. ऐसे में, जो लोग अपने जीवन में साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव से परेशान हैं, उनके लिए ये दिन विशेष रूप से राहत देने वाला हो सकता है. इस दिन की गई पूजा-पाठ और व्रत से जातकों को न केवल शनि देव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का भी वास होता है.

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, साढ़ेसाती शनि की वह अवस्था है जब किसी जातक की कुंडली में शनि तीन ग्रहों से गुजरते हैं. ये काल 7.5 वर्षों तक चलता है. ढैय्या को शनि के प्रभाव का छोटा रूप माना जाता है,  जो ढाई साल तक चलती है. इन परिस्थितियों में जातकों के जीवन में कठिनाइयां,  मानसिक तनाव और आर्थिक समस्याएं बढ़ सकती हैं. इन प्रभावों को कम करने के लिए जातकों को शनि त्रयोदशी पर पूजा-अर्चना करना चाहिए, जिससे उन्हें इन सभी समस्याओं से मुक्ति मिल सके.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

Featured Video Of The Day
Punjab Flood: पंजाब में बाढ़, उफनती सतलज से देखें NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट | Flood Alert India
Topics mentioned in this article