Shani Pradosh Vrat: भगवान शिव के साथ-साथ शनि देव को करना है प्रसन्न, तो शनि प्रदोष व्रत पर करें ये काम

Shani Pradosh Vrat: त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार का प्रदोष व्रत 15 जनवरी दिन शनिवार को है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) कहा जा रहा है. यह व्रत भगवान शिव को प्रदोष अत्यंत प्रिय है.

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नई दिल्ली:

हर माह की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) को प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह व्रत भगवान शिव को प्रदोष व्रत अत्यंत प्रिय है. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले शनिवार को शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. शनि प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इस दिन शनि देव की भी पूजा की जाती है. साल के पहले महीने जनवरी में इस बार पहला प्रदोष व्रत (शनि प्रदोष व्रत) 15 जनवरी 2022 को पड़ रहा है.  मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ-साथ शनि देव  (Shani Dev) की भी पूजा करने से दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहते हैं कि संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) रखना चाहिए. मान्यता है कि यह व्रत करने के शनि दोष भी दूर होते हैं. शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप (Lord Shiv Mantra Jaap) करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं इस दिन किन मंत्रों का जाप करना चाहिए. 

शनि प्रदोष व्रत का महत्व | Significance of Shani Pradosh Vrat

बता दें कि प्रत्येक माह में दो त्रयोदशी तिथि पड़ती हैं. इन दोनों तिथियों को प्रदोष व्रत रखा जाता है. एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. कहा जाता है कि शनि त्रयोदशी शनि देव की जन्म तिथि है, इसलिए इस दिन शनि से संबंधित उपाय भी किए जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस दिन भगवान ​शिव से सुयोग्य संतान की प्राप्ति के लिए मनोकामना की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत (Pradosh Vrat) के द‍िन भगवान श‍िव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्‍त होती है और मरने के बाद मोक्ष की प्राप्‍त होती है. शनि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को करने के विधान है.

प्रदोष व्रत मंत्र जाप | Pradosh Vrat Mantra Jaap

पंचाक्षरी मंत्र

ॐ नम: शिवाय।


महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

लघु महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः

शिव गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।

शनिदेव में मंत्र

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।

आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।

ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।

ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।

ऊँ मन्दाय नमः।

ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।

शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

शनि महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

शनि का वैदिक मंत्र

ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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