Pradosh Vrat 2025: सितंबर महीने में कब-कब पड़ेगा प्रदोष व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Pradosh Vrat Kab Hai: सितंबर के महीने में पावन प्रदोष व्रत कब-कब पड़ेगा और इस ​दिन प्रदोष काल में की जाने वाली शिव पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? प्रदोष व्रत की पूजा विधि से लेकर इसका धार्मिक महत्व को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
सितंबर 2025 में कब पड़ेगा प्रदोष व्रत?
NDTV

Shukra Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi: सनातन परंपरा में भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद बरसाने वाले प्रदोष व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. यह व्रत प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन पड़ता है. यह व्रत जीवन के सभी कष्टों को दूर करके कामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार यह व्रत जिस दिन पड़ता है, उस दिन से जुड़े ग्रह विशेष का शुभ फल दिलाता है. आइए जानते हैं कि जीवन से जुड़े सभी मनोरथ पूरा करने वाला प्रदोष व्रत कब पड़ेगा और इस दिन पूजा के लिए उत्तम माना जाने वाला प्रदोष काल किस समय रहेगा.

सितंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत

पंचांग के अनुसार सितंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत 05 सितंबर 2025, शुक्रवार के दिन पड़ेगा. शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन प्रदोष काल की पूजा का समय शाम को 06:38 से लेकर 08:55 बजे तक रहेगा. इस तरह शिव भक्त प्रदोष व्रत की पूजा लगभग सवा दो घंटे के तक कर सकेंगे.

सितंबर महीने का दूसरा प्रदोष व्रत

पंचांग के अनुसार इस साल सितंबर महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 29 सितंबर 2025, शुक्रवार के दिन पड़ेगा. यह व्रत भी शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा. पंचांग के अनुसार इस दिन प्रदोष काल की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 06:21 से लेकर 08:43 बजे तक रहेगा. ऐसे में शिव भक्तों को महादेव और माता पार्वती की पूजा करने के लिए लगभग ढाई घंटे का समय मिलेगा.

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार जिस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी कामनाएं पूरी होती हैं, उसे सबसे पहले चंद्र देवता ने किया था. मान्यता है कि प्रदोष व्रत के शुभ प्रभाव से उनका क्षय रोग समाप्त हो गया था. मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर साधक को अनंत सुख और पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत का पुण्यफल 100 गायों के दान के समान माना गया है.

शुक्र प्रदोष व्रत का फल

हिंदू मान्यता के अनुसार जब त्रयोदशी तिथि शुक्रवार के दिन पड़ती है तो उस दिन पड़ने वाला व्रत शुक्र प्रदोष व्रत कहलाता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर साधक को शिव-पार्वती के साथ शुक्र देवता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. शुक्र देवता की कृपा से साधक सुखी जीवन जीता है. शुक्र प्रदोष व्रत को करने से कुंडली में स्थित शुक्र दोष दूर होता है. शुक्र की शुभता बढ़ने से साधक को सभी प्रकार के सुखों के साथ सौंदर्य, वैवाहिक सुख और भोग विलास से जुड़ी चीजों का सुख प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025: “फांसी दो, तभी आत्मा को शांति मिलेगी”| Dularchand Yadav केस में पोते की पुकार