एक ऐसा मंदिर जिसके ऊपर से विमान तो दूर पक्षी भी नहीं उड़ते, जानिए इस अद्भुत मंदिर का रहस्य

चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी बहुत ही प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थान जगन्नाथ पुरी मंदिर है, जो कि अपनी महिमा और आश्चर्यजनक तथ्यों की वजह से दुनियाभर में प्रसिद्ध है. हिन्दू धर्म में धरती का बैकुंठ कहे जाने वाले जगन्नाथ पुरी का खास महत्व है. जानिए इससे जुड़ी खास बातें.

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जानिए जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ी खास बातें, जहां हवा के विपरीत लहराता है झंडा
नई दिल्ली:

हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थान जगन्नाथ पुरी मंदिर है, जो कि अपनी महिमा और आश्चर्यजनक तथ्यों की वजह से दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. हिंदू धर्म के हिसाब से चार धामों (बदरीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और पुरी) में से एक जगन्नाथ पुरी है. कहा जाता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर की ऐसी तमाम विशेषताएं हैं, जो इसे सबसे अलग बनाती हैं. वहीं माना जाता है कि इस मंदिर से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जो सदियों से रहस्य बनी हुई हैं. बताते हैं कि इस मंदिर के ऊपर से कोई विमान या पक्षी नहीं उड़ पाते हैं. वहीं इस मंदिर के सबसे ऊपरी भाग में लगा झंडा हमेशा हवा के विपरीत लहराता है. बता दें कि पुरी के इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ की मूर्तियां हैं. 

श्री हरि के चार धाम

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान श्री हरि विष्णु जब चारों धाम पर बसे तो सबसे पहले बदरीनाथ पहुंचे, जहां उन्होंने सबसे पहले स्नान किया. इसके बाद श्री हरि गुजरात के द्वारिका गए, जहां उन्होंने कपड़े बदले. आगे प्रभु ओडिशा के पुरी पहुंचे, जहां उन्होंने भोजन किया और आखिर में भगवान विष्णु तमिलनाडु के रामेश्वरम गए, जहां उन्होंने विश्राम किया. हिन्दू धर्म में धरती का बैकुंठ कहे जाने वाले जगन्नाथ पुरी का खास महत्व है. यहां भगवान श्रीकृष्ण, सुभद्रा और बलराम जी का प्रतिदिन विधि-विधान से पूजन किया जाता है. 

पुरी से जुड़ी मान्यता

पुरी से जुड़ी एक मान्यता है कि भगवान कृष्ण जी द्वारा देह का त्याग किए जाने के बाद अंतिम संस्कार किया गया, तब शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई. बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का हृदय एक जिंदा इंसान की तरह ही धड़कता रहा, जो आज भी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के अंदर आज भी सुरक्षित है.

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पुरी का महाप्रसाद

बता दें कि जगन्नाथ पुरी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है. कहते हैं इसके पीछे एक विशेष विधि का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रसाद की खासियत है कि इसे मिट्टी के बर्तन में ही बनाया जाता है. इसके अलावा यह प्रसाद गैस पर नहीं, बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है. जब प्रसाद बनाया जाता है तो एक के ऊपर एक बर्तन रखे जाते हैं.

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मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ पाता कोई भी विमान या पक्षी

मान्यता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर की देखरेख गरुड़ पक्षी करता है. बता दें कि गरुड़ को पक्षियों का राजा माना जाता है. यही वजह है कि अन्य पक्षी इस मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ते हैं. खास बात यह है कि जगन्नाथ मंदिर पुरी के ऊपर एक आठ धातु चक्र (गोल आकार) है, जिसे नीलचक्र के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि यह चक्र मंदिर के ऊपर से उड़ने वाले हवाई जहाजों में रुकावट पैदा करता है, यही वजह है कि मंदिर के ऊपर से कोई भी विमान उड़ नहीं पाते हैं. 

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हवा के विपरीत दिशा में लहराता है झंडा

आपने देखा होगा कि आमतौर पर मंदिर के ऊपर लगे झंडे हवा के अनुकूल ही फहराते हैं, लेकिन जगन्नाथ पुरी मंदिर के ऊपर लगा झंड़ा हमेशा हवा के विपरीत दिशा ही फहराता है. इस रहस्य को लेकर आज तक कोई बात सामने आई है.

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मंदिर का प्रवेश द्वार है अद्भुत

अक्सर मंदिरों में आपने एक या दो दरवाजे ही देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ पुरी मंदिर के चार दरवाजे हैं. बता दें कि मुख्य द्वार को सिंहद्वारम कहा जाता है. बताया जाता है कि सिंहद्वारम द्वार पर समुद्र के लहरों की आवाज सुनाई पड़ती है, लेकिन मंदिर में प्रवेश करते ही लहरों का शोर खत्म हो जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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