शिवरात्रि पर कैसे करें महादेव की पूजा, जानें चार प्रहर की पूजा विधि, मंत्र और महत्व सिर्फ एक क्लिक में

Sawan Shivratri 2025 Puja Vidhi: श्रावण के पूरे महीने में शिव की साधना शुभ और शीघ्र फलदायी मानी गई है लेकिन इसका महत्व शिवरात्रि पर बहुत ज्यादा माना गया है. सभी दु:खों को दूर करके शिव कृपा बरसाने वाली शिवरात्रि की कब और कैसे करें पूजा, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

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सावन की शिवरात्रि कब और किस विधि से करें पूजा?

Sawan Shivratri 2025: भगवान शिव की पूजा के लिए श्रावण मास की​ शिवरात्रि को बहुत ज्यादा शुभ माना गया है. मान्यता है कि इस दिन शिव के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करने पर साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है. शिव (Lord Shiva) जिन्हें औढरदानी कहा जाता है, वे सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, जो सिर्फ जल और पत्ते को अर्पण करने मात्र से ही खुश होकर अपने भक्तों की सारी विपदाओं को दूर कर देते हैं. औढरदानी भगवान शिव की कृपा से उसे जीवन से जुड़े सभी सातों सुख प्राप्त होते हैं. आइए शिवरात्रि पर शिव की पूजा से जुड़ी सभी बातों को विस्तार से जानते हैं - 

किसने की थी शिवलिंग की सबसे पहले पूजा 

शिवरात्रि के दिन भोले के भक्त शिव के जिस निराकार स्वरूप की पूजा करते हैं, उसके बारे में मान्यता है कि वह इसी पावन तिथि पर प्रकट हुआ था. जिसकी सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और विष्णु (Lord Vishnu) ने पूजा की थी. मान्यता यह भी है कि जब महादेव ने समुद्र मंथन से निकले विष को सृष्टि की रक्षा करने के लिए पी लिया तो उनका कंठ नीला पड़ गया था. जिसके दुष्प्रभाव से बचाने के लिए देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था और उसी के बाद से आज तक शिव को जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. 

सावन की शिवरात्रि कब और किस विधि से करें पूजा?
Photo Credit: FB: SADHVI ANANYA SARASWATI

कब चढ़ेगा शिव को जल 

उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष पं. रमेश सेमवाल के अनुसार श्रावण मास की शिवरात्रि पर जल चढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा शुभ समय 23 जुलाई 2025 को सुबह 04:39 बजे रहेगा. इसके बाद आप पूरे दिन भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ा सकेंगे. इसी प्रकार चार प्रहर की पूजा का शुभ समय इस प्रकार रहेगा - 

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पहले प्रहर की पूजा - सायंकाल 7:17 से 9:53 रात्रि तक 
दूसरे प्रहर की पूजा - रात्रि 9:53 से 12:28 रात्रि तक
तीसरे प्रहर की पूजा - रात्रि 12:28 से 3:03 तक
चौथे प्रहर की पूजा - रात्रि 3:03 से प्रातः 5:38 तक

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शिवरात्रि की पूजा सामग्री  

श्रावण शिवरात्रि पर शिव की पूजा करने के लिए उनका कोई चित्र या फिर शिवलिंग (Shivling)अवश्य रखें. इसके साथ पूजा के दौरान उन्हें अर्पित करने के लिए गंगाजल अथवा शुद्ध जल, दूध, दही, शक्कर, वस्त्र, जनेऊ, बेल अथवा शमी पत्र, भांग, आक का पत्ता, सफेद पुष्प, मदार के पुष्प, सफेद चंदन, अक्षत, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, इत्र, कपूर, धूप, शिवरात्रि व्रत कथा और चालीसा आदि की पुस्तक साथ रखें. शिवरात्रि पर महादेव के साथ माता पार्वती का भी पूजन करना न भूलें और यदि संभव हो तो उन्हें लाल रंग की चुनरी तथा श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. 

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Photo Credit: PTI

कब और कैसे करें चार प्रहर की पूजा 

हरिद्वार गंगा सभा के सचिव उज्जवल पंडित के अनुसार शिव की चार प्रहर की पूजा (char prahar ki pooja) का संबंध आत्मा, शरीर, मन और ब्रह्म से संबंधित है. शिवरात्रि पर पहले प्रहर की पूजा से शिव साधक का शरीर शुद्ध होता है. दूसरे प्रहर की पूजा से मन शुद्ध होता है और तीसरे प्रहर की आत्मा से पवित्र होती है. चौथे प्रहर की पूजा से ब्रह्म की सिद्धि होती है. शिवरात्रि पर पहले प्रहर की पूजा दूध से, दूसरे प्रहर की पूजा घी से, तीसरे प्रहर की पूजा दही और चौथे प्रहर की पूजा शहद से करनी चाहिए तथा अंत में गंगाजल अर्पित करके पूजा संपूर्ण करें. शिवरात्रि की चार प्रहर की पूजा में यदि आप रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों से पूजा न कर पाएं तो शिव पंचाक्षरी मंत्र का मन में जप करते हुए पूजा करें. 

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शिवरात्रि की पूजा चार प्रहर की पूजा का फल 

शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा से जीवन से जुड़ी व्याधियां दूर होती हैं. समस्त पापों का नाश होता है. कायिक, वाचिक, मानसिक एवं सांसारिक, ज्ञात-अज्ञात महापाप का नाश होता है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. अप्राप्त लक्ष्मी प्राप्त होती है और जो लक्ष्मी आपके पास है, वह लंबे समय तक आपके पास बनी रहती है.

Photo Credit: PTI

शिव रात्रि पर इन मंत्रों का करें जप 

शिव का सबसे सरल मंत्र (Shiva Mantra) - ॐ नम: शिवाय॥
मृत्यु का भय दूर करने वाला मंत्र - ॐ त्र्यम्बकं स्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
कोर्ट-कचहरी में विजय दिलाने वाला मंत्र - ॐ क्रीं नम: शिवाय क्रीं ॐ॥

शिवरात्रि की पूजा के नियम 

भगवान शिव की पूजा में उन्हें अप्रिय लगने वाले पुष्प चंपा, चमेली, जूही, केतकी, केवड़ा आदि न चढ़ाएं. 
शिवरात्रि की पूजा में भूलकर भी शंख और करतला का प्रयोग न करें. 
शिवलिंग हो या फिर महादेव की मूर्ति कभी भी उसकी पूरी परिक्रमा न करें. 
शिव की पूजा में हमेशा शमीपत्र और बेलपत्र की डंठल तोड़कर उलटा करके चढ़ाएं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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